
भगवत्-प्रेम
एक समयकी बात है। महात्मा ईसा अपने शिष्यों से घिरे हुए एक स्थानपर विश्राम कर रहे थे। कुछ देर पहले

एक समयकी बात है। महात्मा ईसा अपने शिष्यों से घिरे हुए एक स्थानपर विश्राम कर रहे थे। कुछ देर पहले

‘आप घर तो नहीं भूल गये हैं? मैं इस सम्मानका पात्र नहीं हूँ।’ ‘भूले नहीं हैं, निश्चय ही हम आपकी

‘इंगलैंड नैपोलियन बोनापार्टकी निरंकुशता नहीं सह सकता है। माना, फ्रेंच क्रान्तिकारियोंने समता, स्वतन्त्रता और बन्धुताका प्रकाश फैलाया, पर नैपोलियनने अपनी

वकील भी सच्चे हो सकते हैं लोग कहते हैं कि वकीलका पेशा ही झूठका पेशा है। ‘घोड़ा घाससे यारी करेगा

(6) निन्दा और प्रशंसाका नतीजा जैन सन्त उमास्वामीके पास एक व्यक्ति बड़ी जिज्ञासाके साथ पहुँचा। तब सन्तजी किसी ग्रन्थकी रचनायें

मार्गमें एक घायल सर्प तड़फड़ा रहा था । सहस्रों चींटियाँ उससे चिपटी थीं। पाससे एक सत्पुरुष शिष्यके साथ जा रहे

आपसकी कलहसे विपत्ति आती है किसी समय एक चिड़ीमारने चिड़ियोंको फँसानेके लिये पृथ्वीपर जाल फैलाया। उस जालमें साथ-साथ रहनेवाले दो

बोध-सूक्ति- पीयूष ‘अनिर्वेदः सिद्धेर्मूलम् ॥’-निराशाका अभाव हो सफलताका मूल है। ‘न सन्देहदेहो वीरव्रतनिर्वाहः ॥ ‘ – वीरोचित आचरण संशयग्रस्त मनसे

दम्भ पतनका कारण रावणने ऐसी तपस्या की थी, जो सभीके लिये दुःसह थी। महादेवजीको तपस्या बहुत प्रिय है। वे उसकी

रोजन गाँवमें एक ब्राह्मण नित्य बात-बातपर पत्नी से झगड़ता और जब-तब कहता नहीं मानोगी तो संतोबा पवारके पास चला जाऊँगा;