
सभ्यता और सज्जनताकी कसौटी
सभ्यता और सज्जनताकी कसौटी काषायवस्त्रधारी स्वामी विवेकानन्द अमेरिकाके शिकागोनगरमें सड़कसे जा रहे थे। उनका यह वेश अमेरिकावासियोंके लिये कौतूहलकी वस्तु

सभ्यता और सज्जनताकी कसौटी काषायवस्त्रधारी स्वामी विवेकानन्द अमेरिकाके शिकागोनगरमें सड़कसे जा रहे थे। उनका यह वेश अमेरिकावासियोंके लिये कौतूहलकी वस्तु

मनुष्यके जीवनका प्रत्येक क्षण अमूल्य है। समय ऐसा धन है, जो चले जानेपर वापस नहीं आया करता। विवेकी पुरुष समय-बद्धताकी

धर्मराज युधिष्ठिरका राजसूय यज्ञ समाप्त हो गया था। वे भूमण्डलके चक्रवर्ती सम्राट् स्वीकार कर लिये गये थे । यज्ञमें पधारे

एक बार प्रभु श्रीरामचन्द्र पुष्पक यानसे चलकर तपोवनोंका दर्शन करते हुए महर्षि अगस्त्यके यहाँ गये महर्षिने उनका बड़ा स्वागत किया।

काशीके राजा ब्रह्मदत्तके राज्यमें एक ब्राह्मण रहता था – धर्मपाल । उसमें नामके अनुसार ही गुण थे। यहाँतक कि उसके

वेशका सम्मान एक बहुरूपियेने राजा भोजके दरबारमें आकर राजासे पाँच रुपयेके दानकी याचना की। राजाने कहा कि ‘वे कलाकारको पुरस्कार

श्वेत नीलकण्ठका रहस्य एक किसानको विरासत खूब धन-सम्पत्ति मिली। वह दिनभर खाली बैठा हुक्का गुला और गम होता रहता। रिश्तेदार

पिताने अपने नन्हे से पुत्रको कुछ पैसे देकर बाजार भेजा फल लानेके लिये। बच्चेने रास्तेमें देखा, कुछ लोग, जिनके बदनपर

लंदनके साउथवार्कवाली गलियोंमें गरीबोंकी बस्ती थी। उसमें मजदूरों और श्रमिकोंके लिये छोटे-छोटे मकान बने हुए थे। दिनभर कारखानोंमें मजदूरी कर

श्रीगदाधर भट्ट बड़े ही रसिक तथा भगवद्विश्वासी भक्त थे। ये श्रीचैतन्यमहाप्रभुके समकालीन थे। एक दिन रातको भट्टजीके घरमें एक चोरने