
भगवत्प्राप्तिके लिये कैसी व्याकुलता अपेक्षित
एक शिष्यने अपने गुरुसे पूछा- ‘भगवन्! भगवत्प्राप्तिके लिये किस प्रकारकी व्याकुलता होनी चाहिये ?’ गुरु मौन रहे। शिष्य भी उनका

एक शिष्यने अपने गुरुसे पूछा- ‘भगवन्! भगवत्प्राप्तिके लिये किस प्रकारकी व्याकुलता होनी चाहिये ?’ गुरु मौन रहे। शिष्य भी उनका

घर-घर दीप जले (श्रीमती ऊषाजी अग्रवाल ) एक आदमी भीख माँग रहा था। वह कम-से कम सौ घरोंके आगे चक्कर

ईश्वर और जीवका भेद एक महात्माने एक जिज्ञासुसे कहा कि हमको प्यास लगी है, यह तूंबा ले जा और यहाँसे

स्वामी विवेकानन्द परिव्राजकके रूपमें राजस्थानका भ्रमण करते-करते अलवर जा पहुँचे। राजाके दीवान थे मेजर रामचन्द्र वे आध्यात्मिक मनोवृत्तिके व्यक्ति थे।

गौतम नामका एक ब्राह्मण था ब्राह्मण वह केवल अर्धमें था कि ब्राह्मण माता-पितासे उत्पन्न हुआ था, इस अन्यथा था वह

यह संसार भी एक सपना है किसी देशमें एक किसान रहता था। वह बड़ा ज्ञानी था। किसानी करता था। स्त्री

सत्यकी जय होती है ‘यह तरबूज कैसा है लड़के? -एक ग्राहकने पूछा। ‘यह तरबूज भीतरसे सड़ा है, श्रीमान् !’ ग्राहक

एक महात्मा थे। वे एक बार किसी किलेके सामने बैठे थे। उस समय मुगलराज्य था। एक सिपाहीने उनको भगा दिया,

प्राचीन कालमें चन्द्रप्रभ नामके एक राजर्षि थे। भगवान् श्रीकृष्णकी कृपासे उन्हें चित्रध्वज नामक सुन्दर पुत्र प्राप्त था। वह लड़कपनसे ही

श्रीठाकुरसाहब लदाणा (जयपुर) – के पास एक मुसलमान सज्जन आये, उनके गलेमें तुलसीकी कंठी बँधी हुई थी। ठाकुरसाहबने पूछा कि