
गरिमा और घमण्ड
गरिमा और घमण्ड पुराणको एक प्रतीक कथा बड़े मार्मिक से घमण्ड और गरिमाके भेदको समझाती है। गरुड़ और शेषनाग इतने

गरिमा और घमण्ड पुराणको एक प्रतीक कथा बड़े मार्मिक से घमण्ड और गरिमाके भेदको समझाती है। गरुड़ और शेषनाग इतने

कलकत्तेके सुप्रसिद्ध विद्वान् श्रीविश्वनाथ तर्कभूषण बीमार पड़े थे। चिकित्सकने उनकी परिचर्या करनेवालोंको आदेश दिया- ‘रोगीको एक बूँद भी जल नहीं

कुरुक्षेत्रमें मुगल नामके एक ऋषि थे। वे धर्मात्मा, जितेन्द्रिय और सत्यनिष्ठ थे ईर्ष्या और क्रोधका उनमें नाम भी नहीं था।

बादशाह जहाँगीरमें चाहे जितनी दुर्बलताएँ रही हों; किंतु वह प्रजावत्सल एवं न्यायप्रिय शासक था, इस बातको उसके शत्रु भी अस्वीकार

ऋणानुबन्ध जब शहरी लोग वातानुकूलित कक्षों या कूलरमें बैठे अड़तालीस डिग्री हो गये तापक्रम और ग्लोबल वार्मिंगपर बहस कर रहे

शिवाजी अपने तंबू में बैठे सेनानी माधव भामलेकरके आनेकी चिन्तापूर्ण प्रतीक्षा कर रहे थे। इसी बीच हाथमें एक ग्रन्थ लिये

स्वामी विवेकानन्दके पूर्वाश्रमकी बात है। उस समय उनका नाम नरेन्द्र था। वे कभी-कभी परमहंस रामकृष्णदेवके दर्शनके लिये दक्षिणेश्वर मन्दिरमें भी