
शब्दों की मर्यादा
शब्द ही किसी मनुष्य के संस्कारों के मुल्यांकन का सबसे प्रभावी और सटीक आधार होते हैं। मनुष्य के केवल शब्द

शब्द ही किसी मनुष्य के संस्कारों के मुल्यांकन का सबसे प्रभावी और सटीक आधार होते हैं। मनुष्य के केवल शब्द

वैदिक पथिक-गोस्वामी तुलसीदासजी ने एक बड़ीगूढ़ बात कही है – रवि पंचक जाके नहीं, ताहि चतुर्थी नाहिं।तेहि सप्तक घेरे रहे,
एक आठ साल का लड़का गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा जी के पास गाँव घूमने आया। एक दिन वो

एक भक्त के दिल की तङफ होती है कब मेरे अन्दर वैराग्य आएगा। भक्त सोचता है पुरण वैराग्य आ जाए

भारतभूमि के चार प्रमुख पर्वों है, दशहरा, दीपावली,होली और रक्षाबंधन में रक्षाबंधन ही सबसे प्राचीन है। यह एक मात्र पर्व

आज का प्रभु संकीर्तन।जीवन का आनंद लेने के लिए हमारे अंदर आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है।बिना आत्मविश्वास के हम

मनुष्य का विनम्र स्वभाव उसे सबका प्रिय बना देता है। जिस प्रकार आभूषण सबको प्रिय लगते हैं उसी प्रकार व्यक्ति

।। जय श्रीहरि ।। मन कभी भी ख़ाली नहीं बैठ सकता, कुछ ना कुछ करना इसका स्वभाव है। अच्छा काम

!! जय श्री कृष्णा राधे राधे!! “छोटा बने सो हरि पावै”भगवान श्री कृष्ण जी ने छोटी उंगली पर ही क्यों
रामशरण जी और दयाशंकर बचपन के दोस्त थे। कृष्ण सुदामा जैसी दोस्ती थी उनकी।रामशरण जी बहुत बड़े जमींदार,कई कारखाने,जमीन के