
मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी
पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है ?
उत्तर :- परम्परा हैं किकिसी भी मंदिर में दर्शन के बादबाहर आकर मंदिर की पैड़ी याऑटले पर थोड़ी देर बैठना।

उत्तर :- परम्परा हैं किकिसी भी मंदिर में दर्शन के बादबाहर आकर मंदिर की पैड़ी याऑटले पर थोड़ी देर बैठना।
एक ब्राह्मण था जो भगवान को भोग लगाये बिना खुद कभी भी भोजन नहीं करता था। हर दिन पहले गोपाल

एक बार शरद पूर्णिमा की शरत-उज्ज्वल चाँदनी में वंशीवट यमुना के किनारे श्याम सुंदर साक्षात मन्मथनाथ की वंशी बज उठी।

ऐसा पढ़ने में आता है कि महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमानजी कभी-कभी खड़े हो कर

मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा ही फल भोगता है। वस्तुत: मनुष्य के द्वारा किया गया कर्म ही प्रारब्ध बनता

श्री राधारमण जी का 481 प्राकट्य उत्सव दिवस श्री गोपाल भट्ट श्री चैतन्य महाप्रभु जी के बड़े कृपापात्र थे ।

बात बहुत पुरानी नहीं है- वृन्दावन में गोस्वामी बिंदुजी महाराज नाम के एक भक्त रहते थे। वे काव्य रचना में

।। नमो आञ्जनेयम् ।। हनुमानजी द्वारा चारों युगों के धर्मों का वर्णन के बारे में महाभारत वनपर्व के ‘तीर्थयात्रापर्व’ के

“अम्मा!.आपके बेटे ने मनीआर्डर भेजा है।”डाकिया बाबू ने अम्मा को देखते अपनी साईकिल रोक दी। अपने आंखों पर चढ़े चश्मे

|| संशय निवारण || निज जननी के एक कुमारा –*मानस का प्रसंग -मानस प्रेमीॐ हिरण्यगर्भ:समवत्तरताग्रे,भूतस्य जातः पतिरेक आसीत् ।। सदाचार