
व्रजभूमि में जन्म लेने वाले कोई भी साधारण नहीं है
व्रजभूमि में जन्म लेने वाले जीवों में से, चाहे वे गोप गोपियों के रूप में हों अथवा जड़ चेतन पशु

व्रजभूमि में जन्म लेने वाले जीवों में से, चाहे वे गोप गोपियों के रूप में हों अथवा जड़ चेतन पशु

क्यों दर-दर पर जाकर भीख माँगनी है ? क्यों हर एक व्यक्ति से चेष्टा करनी है ? क्यों नहीं उससे

भावना या भाव बहुत मायने रखता हैआप किसी भी पूजा पद्धति का विष्लेषण करें बिना भाव के किसी भी प्रकार

सरयू जल साक्षात परम ब्रह्म है जो मोक्ष प्रदान करता है।रामजी के बालरूप के लिए धरती पर अवतरित हुई सरयू

आसमान से आग बरस रही थी ऐसे में अधिकांश लोग घरों में रहने को मजबूर थे सुबह तकरीबन ग्यारह बजे

एक सौदागर को बाज़ार में घूमते हुए एक उम्दा नस्ल का ऊंट दिखाई पड़ा! सौदागर और ऊंट बेचने वाले के

हिरण्यकश्यपों के घर में भी,भक्त प्रह्लाद जन्म ले आते हैं.. निर्जीव स्तंभों के भीतर भी,जब भगवान प्रकट हो जाते हैं..

एक बार आश्रम में एक नया शिष्य आया, आश्रम के नियमानुसार उसे भी प्रतिदिन संध्या – उपासना करनी थी !

स्वयं द्वारा स्वयं के विरुद्ध छेड़ा जाने वाला संग्राम ही संयम कहलाता है। संयम अर्थात एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध।

उद्धवजी को समझ नहीं आ रहा था कि व्रज को याद करते ही प्रभुकी आँखे क्यों बह निकलती है।जीव जब