
श्यामा श्याम के नखरे 💗
आनंदी बाई का जन्म एक ब्राह्मण कुल में हुआ.. भगवत-सेवा, वैष्णव-सेवा का बचपन से ही इनमे तीव्र अनुराग था. विवाह

आनंदी बाई का जन्म एक ब्राह्मण कुल में हुआ.. भगवत-सेवा, वैष्णव-सेवा का बचपन से ही इनमे तीव्र अनुराग था. विवाह

सहजो की कुटिया के बाहर प्रभु प्रकट हुए और बोले हम स्वयं चलकर आऐ हैं तुम्हे हर्ष नही? सहजो ने

🙏 तीनो लोको के स्वामी सुधबुद्ध खोकर दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या,

एक धनी व्यक्ति ने वसीयत में लिखा- “बेटा मेरे मरने के बाद मेरे पैरों में मेरे ये फटे मोज़े पहनाकर

। जीवन संग्राम का सबसे बड़ा शास्त्र आत्मविश्वास है। जिसे अपने ऊपर, अपने संकल्प बल और पुरुषार्थ के ऊपर भरोसा

एक पापी इन्सान मरते वक्त बहुत दुख और पीड़ा भोग रहा था। लोग वहाँ काफी संख्या में इकट्ठे हो गये।वहीं

7 मार्च 1679 ई0 की बात है, ठाकुर सुजान सिंह अपनी शादी की बारात लेकर जा रहे थे, 22 वर्ष

एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु से जीवन जीने का सही समय पूछा। तब वह शिष्य को अपने साथ

नगर से सैकड़ों कोस दूर सुदूर वन में तपस्या कर रहे उस वृद्ध ऋषि ने दूर उस निश्चित स्थान की

यह सृष्टि चौरासी लाख योनियों का वन है, जिसमें विधाता ने हमें रखा है, जो प्रभु नाम रूपी आश्रय को