
परब्रह्म श्रीराम- जन्म
महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ आरंभ करने की ठानी। महाराज की आज्ञानुसार श्यामकर्ण घोड़ा चतुरंगिनी सेना के साथ

महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ आरंभ करने की ठानी। महाराज की आज्ञानुसार श्यामकर्ण घोड़ा चतुरंगिनी सेना के साथ

नवमी तिथि मधुमास पुनीता,शुक्ल पक्षअभिजीत नव प्रीता।मध्य दिवस अति शीत न घामा,पवन काल लोक विश्रामा। राम जनम के हेतु अनेका

हे मेरे भगवान् मेरे ये राम राम राम की माला हर घङी और हर पल मेरे अन्दर चलती रहे।ये माला

सुबह सुबह उस गोपी के यहाँ नन्दनन्दन पहुँच गए।कई दिनों से इसकी इच्छा थी।इसनें मनोरथ किया था कि मेरे घर

एक मित्र ने बहुत ही सुंदर पंक्तियां भेजी है, पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया.. जब

_जैसे एक माला में जितने अधिक रंग के पुष्प होंगे, माला उतनी ही खूबसूरत होगी, लेकिन सभी फूलों को एक

व्यवसायिक कार्य से लगभग हर रोज दिल्ली जाना होता है। वापसी पर मुरथल के एक ढाबे पर रात्रिभोज हेतु रुकता

मेहर बहुत गुस्से में थी। इकत्तीस दिसंबर की रात और वह अभी तक घर पर थी।ऐसा लग रहा था जैसे

जापान में कोई दो सौ वर्ष पहले एक बहुत अद्भुत संन्यासी हुआ। उस संन्यासी की एक ही शिक्षा थी कि

आज यमुना छठ को यमुना महारानी का प्राक्ट्य दिवस है। द्वापर युग में जब धरती पर प्रभु के प्राकट्य होने