
सप्तर्षियोंका त्याग
बहुत पुराने समयकी बात है। एक बार पृथ्वीपर बारह वर्षोंतक वर्षा नहीं हुई संसारमें घोर अकाल पड़ गया। सभी लोग

बहुत पुराने समयकी बात है। एक बार पृथ्वीपर बारह वर्षोंतक वर्षा नहीं हुई संसारमें घोर अकाल पड़ गया। सभी लोग

दया नहीं, सेवा नहीं- पूजा आजकल समाजसेवाके नामपर बहुतसे स्वार्थी तत्त्व जिस तरह प्रच्छन्नरूपसे अपने ही हित-साधनमें लगे रहते हैं,

हिरण्यकशिपु जब स्वयं प्रह्लादको मारनेके लिये उद्यत हुआ और क्रोधावेशमें उसने सामनेके खंभेपर घूसा मारा तब उसी खंभेको फाड़कर नृसिंह

अजीब सादगी प्रसिद्ध साहित्यकार एच0जी0वेल्सका तीन मंजिला भव्य मकान था, लेकिन वे स्वयं एक छोटे से कमरे में सादगीभरी जिन्दगी

असली यज्ञ काशीसे पाँच मील दूर गंगाके तटपर स्थित एक कुटिया में ‘मोकलपुरके बाबा’ इस नामसे प्रसिद्ध परम विद्वान् संत

कोई महात्मा बैठे थे। उनके पास एक कुत्ता आकर बैठ गया। तब किसी असभ्य मनुष्यने महात्मासे पूछा ‘तुम दोनोंमें श्रेष्ठ

बंगालमें किसी गाँवमें एक सोलह वर्षकी युवती रहती थी। जिस साल उसका विवाह हुआ उसी साल उसके पतिका देहान्त हो

संसार-चक्र एक ब्राह्मण किसी विशाल वनमें घूम रहा था। वह चलता-चलता एक दुर्गम स्थानमें जा पहुंचा। उसे सिंह, व्याघ्र, हाथी

जिसने दक्षिण अफ्रीकाके सत्याग्रहका इतिहास पढ़ा होगा, वह भलीभाँति जानता होगा कि निरपराध होते तथा परोपकार करते हुए महात्मा गांधी-

यज्ञकी धूम शिखाओंसे गगन आच्छादित हो गयाः | उसकी निर्मल और स्वच्छ नीलिमामें विशेष दीप्ति अभिव्यक्त हो उठी। महाराज रथवीति