
निष्पक्ष न्याय
काशीनरेशकी महारानी अपनी दासियोंके साथ वरुणा स्नान करने गयी थीं। उस समय नदीके किनारे दूसरे किसीको जानेकी अनुमति नहीं थी।

काशीनरेशकी महारानी अपनी दासियोंके साथ वरुणा स्नान करने गयी थीं। उस समय नदीके किनारे दूसरे किसीको जानेकी अनुमति नहीं थी।

श्रमका संस्कार एक बार कुछ किसान हल जोतनेके लिये खेतों में गये। इतनेमें चारों ओर काली घटाएँ छा गयीं। किसानोंने

[3] नैतिक सामाजिकता एक फटे हाल महिला घायल अवस्थामें सड़कके किनारे पड़ी हुई कराह रही थी। पासमें उसका अबोध शिशु

प्रियदर्शी सम्राट् अशोकके जन्म-दिनका महोत्सव था। सभी प्रान्तोंके शासक एकत्र हुए थे। सम्राट्की ओरसे घोषणा हुई—‘सर्वश्रेष्ठ शासक आज पुरस्कृत होगा।’

रहीम खानखाना अपने समयके उदार और दानीदे व्यक्तियोंमेंसे एक थे। वे बहुत बड़े गुणग्राहक और भगवद्भक्त थे। उन्होंने अपने जीवनकालमें

शक्तियोंको खोलनेका मार्ग मनुष्यका यह स्वभाव है कि दूसरे आदमी उसे जैसा पुनः पुनः कहते हैं, धीरे-धीरे वह स्वयं भी

अहन्ताके त्यागसे ही जीवन्मुक्ति एक राजा था, वह अत्यन्त विचारशील था। एक बार वह विचार करते-करते व्याकुल हो उठा, उसे

भगवान् श्रीशंकराचार्यजीका लोकव्यवहार-बोध भगवान् श्रीशंकराचार्यजीने जहाँ एक और मुमुक्षुओंके कल्याणार्थ विवेकचूडामणि, अपरोक्षानुभूति, शतश्लोकी- जैसे प्रकरण-ग्रन्थोंका प्रणयन किया, वहीं दूसरी ओर

श्रीईश्वरचन्द्र विद्यासागर उस समय खर्मा टाँड़में रहते थे। आवश्यकतावश उन्हें ढूँढ़ता एक व्यक्ति पहुँचा। उससे ज्ञात हुआ कि वह कई

एक बार उपमन्युके पुत्र प्राचीनशाल, पुलुष- पुत्रः सत्ययज्ञ, भल्लवि-पौत्र इन्द्रद्युम्न, शर्कराक्षका पुत्र जन और अश्वतराश्व पुत्र बुडिल- ये महागृहस्थ और