अक्रोधेन जयेत् क्रोधम्
जैनपुराणकी कथा है कि एक बार श्रीबलदेव, वासुदेव और सात्यकि—ये तीनों बिना किसी सेवक या सैनिकके वनमें भटक गये। बात
जैनपुराणकी कथा है कि एक बार श्रीबलदेव, वासुदेव और सात्यकि—ये तीनों बिना किसी सेवक या सैनिकके वनमें भटक गये। बात
जाने क्यों, सम्राट्की नींद एकाएक उड़ गयी। पलंगपर पड़े रहनेके बदले बादशाह उठकर बाहर निकल आया। निस्तब्ध रात्रि थी। पहरेदारने
रात्रिका समय है। दक्षिणभारतके एक छोटे-से गाँवकी एक छोटी-सी कोठरीमें रेंड़ीके तेलका दीपक जल रहा है। कोठरीका कच्चा आँगन और
नेपोलियन बोनापार्ट बचपन बहुत निर्धन थे किंतु अपने साहस और उद्योगसे वे फ्रांसके सम्राट् हुए। सम्राट् होनेके “पश्चात् वे एक
बाबा श्रीभास्करानन्दजी अपनी गङ्गातटकी कुटिया में बैठे भगवन्नामका जप कर रहे थे। सहसा आहट पाकर उनकी दृष्टि सामने की ओर
मिश्र देशके प्रसिद्ध संत सेरापियोकी त्याग वृत्ति उच्च कोटिकी थी। चौथी शताब्दीके संत-साहित्यमें उनका नाम अमित प्रसिद्ध है। वे सदा
मठका महंत बनना अपनेको नरकमें गिराना है मर्यादापुरुषोतम महाराज श्रीरामको राजसभा इन्द्र यम और वरुण सभा समक्ष थी। उनके राज्यमें
एक साधुकी गाय किसीने चुरा ली। जब लोग गाय ढूँढ़ने लगे, तब साधु बोले- ‘गाय ले जाते समय मैंने चोरको
अब्राहम लिंकनकी सच्चाई अमेरिकाके राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन बचपनमें एक चायकी दुकानमें नौकरी करते थे। एक दिनकी बात है, मोहल्लेकी महिला
एक बार भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र अपने सम्पूर्ण 18 परिवार परिकर आदिके साथ सिद्धाश्रम तीर्थमें स्नान करने गये। दैवयोगसे श्रीराधिकाजी भी वहाँ