उदारताका त्रिवेणी-सङ्गम
औरंगजेबने भेंटके बहाने शिवाजीको दिल्ली बुलाकर कैद कर लिया और शिवाजीने भी धोखा देकर आगरेसे भाग उसे इसका करारा जवाब
औरंगजेबने भेंटके बहाने शिवाजीको दिल्ली बुलाकर कैद कर लिया और शिवाजीने भी धोखा देकर आगरेसे भाग उसे इसका करारा जवाब
महाभाष्यतिलकके कर्ता संस्कृतके प्रकाण्ड विद्वान् कैयटजी नगरसे दूर एक झोंपड़ीमें निवास करते थे। उनके घरमें सम्पत्तिके नामपर एक चटाई और
महाराज जनकके राज्यमें एक ब्राह्मण रहता था। उससे एक बार कोई भारी अपराध बन गया। महाराज जनकने उसको अपराधके फलस्वरूप
सौन्दर्यके अहंकारका फल शंखासुरका एक पुत्र था, जो ‘अघ’ नामसे विख्यात था। महाबली अघ युवावस्थामें अत्यन्त सुन्दर होनेके कारण साक्षात्
किसी समय कन्नौजमें अजामिल नामका एक तरुण ब्राह्मण रहता था। वह शास्त्रोंका विद्वान् था, शीलवान् था, कोमल स्वभावका उदार, सत्यवादी
एक सम्पन्न घरके लड़केको डाकुओंने पकड़ लिया और अरबके एक निर्दय व्यक्तिके हाथ बेच दिया। निष्ठुर अरब उस लड़केसे बहुत
(9) प्रथम राष्ट्रपति घटना सत्रहवीं शताब्दीकी है। उत्तरी वर्जीनियामें कुछ मित्र किनारे बैठे थे कि उन्होंने एक स्त्रीके रोने-चिल्लानेकी आवाज
प्रेतयोनिकी प्राप्तिके कारण पूर्वकालमें विदूरथ नामसे प्रसिद्ध एक हैहयवंशी राजा हो गये हैं, जो बड़े-बड़े यज्ञ करनेवाले, दानपति तथा प्रत्येक
कोई भी कार्य घटिया ढंगसे मत करना भारतके लब्धप्रतिष्ठ अभियन्ता और समाजसेवी श्रीविश्वेश्वरैयाने अपनी पुस्तक ‘मेरे कामकाजी जीवनके संस्मरण’ में
दान, दया और दमन एक समय देवता, मनुष्य और असुर पितामह प्रजापति ब्रह्माजीके पास शिष्यभावसे विद्या सीखने गये एवं नियमपूर्वक