बड़ोंका अभिवादन करनेसे दीर्घायुष्यकी प्राप्ति
बड़ोंका अभिवादन करनेसे दीर्घायुष्यकी प्राप्ति प्राचीन कल्पकी बात है; मृकण्डु नामसे विख्यात एक मुनि थे, जो महर्षि भृगुके पुत्र थे।
बड़ोंका अभिवादन करनेसे दीर्घायुष्यकी प्राप्ति प्राचीन कल्पकी बात है; मृकण्डु नामसे विख्यात एक मुनि थे, जो महर्षि भृगुके पुत्र थे।
अब्राहम लिंकनका बचपन अत्यन्त दुःखमय था । उन्होंने अत्यन्त साधारण और गरीब परिवारमें जन्म लिया था। कभी नाव चलाकर तो
श्रीरामकृष्ण परमहंसदेवके अनुगतोंमें श्रीदुर्गाचरणजी नाग प्रायः नाग महाशयके नामसे जाने जाते हैं। इनके घरकी स्थिति अच्छी नहीं थी। पिता नौकरी
ईश्वर सब देखता है इंग्लैण्डके एक महानगरमें शेक्सपियरका कोई नाटक चल रहा था। बहुत वर्षों पहले सज्जनोंके लिये नाटक देखना
[2] मर्यादाके त्यागसे अपमान एक जगह बहुत-से मोरके पंख पड़े हुए थे। एक कौएने उन्हें देखकर मन-ही-मन सोचा-यदि मैं इन
पटना शहरमें कोई ब्राह्मण रहते थे। उनका नियम था – प्रतिदिन एक ब्राह्मणको भोजन कराके तब स्वयं भोजन करते ।
राँका बाँका पति-पत्नी थे। बड़े भक्त और प्रभुविश्वासी थे। सर्वथा निःस्पृह थे। भगवान्ने उनकी परीक्षा करनेकी ठानी। एक दिन वे
कुछ सूफी बोध-कथाएँ सूफी फकीरोंकी जीवन-शैली और आराधनाका ढंग निराला रहा है और वैसा ही कुछ निरालापन उनके द्वारा अपने
सूर्याजी पंतका सुपुत्र नारायण बचपनसे ही विरक्त सा रहता, तप और ज्ञानार्जनमें ही उसका बचपन बीता। माँ पुत्रवधूका मुँह देखनेके
कहा जाता है कि जब लंका-विजयके लिये नल नील समुद्रपर सेतु बनानेमें लगे थे और अपार वानर भालुसमुदाय गिरिशिखर तथा