आचरण की सुगन्ध
.स्वाति नक्षत्र था। वारिद जलबिंदु तेजी से चला आ रहा था।.वृक्ष की हरित नवल कोंपल ने रोककर पूछा.. ‘‘प्रिय !
.स्वाति नक्षत्र था। वारिद जलबिंदु तेजी से चला आ रहा था।.वृक्ष की हरित नवल कोंपल ने रोककर पूछा.. ‘‘प्रिय !
स्वामी विवेकानंद एक बार एक रेलवे स्टेशन पर बैठे थे उनका अयाचक (ऐसा व्रत जिसमें किसी से मांग कर भोजन
रैवत नाम के राजा की पुत्री का नाम है रेवती और रेवती का विवाह बलरामजी से हो गया, कृष्ण बोले-
न जाने कौन से गुण पर कृपा निधि रीझ जाते है द्वापर में चक्रिक नामक एक भील वन में रहता
🌷”वृंदावन” में एक भक्त रहते थे जो स्वभाव से बहुत ही भोले थे। उनमे छल, कपट, चालाकी बिलकुल नहीं थी।
चार महीने बीत चुके थे, बल्कि 10 दिन ऊपर हो गए थे, किंतु बड़े भइया की ओर से अभी तक
1990 की_घटना.. असम से दो सहेलियाँ रेलवे में भर्ती हेतु गुजरात रवाना हुई. रास्ते में स्टेशन पर गाडी बदलकर आगे
मेरी पत्नी मेरे बगल में सो रही थी… और अचानक मुझे एक सूचना मिली, एक महिला ने मुझे उसे जोड़ने
एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि ‘राम कहे तो बंधन
राधे राधे ब्रजराज गौशाला में बछड़ों भी सँभाल करने गये हैं और ब्रजरानी अपने प्राणधन ललन के लिये भोजन बनाने