
अयोध्या में प्रभु की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से शालिग्राम पत्थर
मैंने अपने शहर को इतना विह्वल कभी नहीं देखा! तीन से चार लाख लोग सड़क किनारे हाथ जोड़े खड़े हैं।अयोध्या
मैंने अपने शहर को इतना विह्वल कभी नहीं देखा! तीन से चार लाख लोग सड़क किनारे हाथ जोड़े खड़े हैं।अयोध्या
.स्वाति नक्षत्र था। वारिद जलबिंदु तेजी से चला आ रहा था।.वृक्ष की हरित नवल कोंपल ने रोककर पूछा.. ‘‘प्रिय !
स्वामी विवेकानंद एक बार एक रेलवे स्टेशन पर बैठे थे उनका अयाचक (ऐसा व्रत जिसमें किसी से मांग कर भोजन
रैवत नाम के राजा की पुत्री का नाम है रेवती और रेवती का विवाह बलरामजी से हो गया, कृष्ण बोले-
न जाने कौन से गुण पर कृपा निधि रीझ जाते है द्वापर में चक्रिक नामक एक भील वन में रहता
”वृंदावन” में एक भक्त रहते थे जो स्वभाव से बहुत ही भोले थे। उनमे छल, कपट, चालाकी बिलकुल नहीं थी।
चार महीने बीत चुके थे, बल्कि 10 दिन ऊपर हो गए थे, किंतु बड़े भइया की ओर से अभी तक
1990 की_घटना.. असम से दो सहेलियाँ रेलवे में भर्ती हेतु गुजरात रवाना हुई. रास्ते में स्टेशन पर गाडी बदलकर आगे
मेरी पत्नी मेरे बगल में सो रही थी… और अचानक मुझे एक सूचना मिली, एक महिला ने मुझे उसे जोड़ने
एक पंडित रोज रानी के पास कथा करता था। कथा के अंत में सबको कहता कि ‘राम कहे तो बंधन