
महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र
(हिन्दी अर्थ सहित) अयि गिरि-नन्दिनि नंदित-मेदिनि विश्व-विनोदिनि नंदनुतेगिरिवर विंध्य शिरोधि-निवासिनि विष्णु-विलासिनि जिष्णुनुते।भगवति हे शितिकण्ठ-कुटुंबिनि भूरि कुटुंबिनि भूरि कृतेजय जय हे
(हिन्दी अर्थ सहित) अयि गिरि-नन्दिनि नंदित-मेदिनि विश्व-विनोदिनि नंदनुतेगिरिवर विंध्य शिरोधि-निवासिनि विष्णु-विलासिनि जिष्णुनुते।भगवति हे शितिकण्ठ-कुटुंबिनि भूरि कुटुंबिनि भूरि कृतेजय जय हे
यह हनुमान तांडव स्तोत्र सावधानी से पढ़ना चाहिए। इसके पढ़ने से हर तरह के संकट, रोग, शोक आदि सभी तत्काल
रक्ष रक्ष महादेवि दुर्गे दुर्गतिनाशिनि।मां भक्त मनुरक्तं च शत्रुग्रस्तं कृपामयि।। विष्णुमाये महाभागे नारायणि सनातनि।ब्रह्मस्वरूपे परमे नित्यानन्दस्वरूपिणी।। त्वं च ब्रह्मादिदेवानामम्बिके जगदम्बिके।त्वं
नम: पुरुषोत्तमाख्याय नमस्ते विश्वभावन।नमस्तेस्तु हृषिकेश महापुरुषपूर्वज।।१।। येनेदमखिलं जातं यत्र सर्व प्रतिष्ठितम।लयमेष्यति यत्रैतत तं प्रपन्नोस्मि केशवं।।२।। परेश: परमानंद: परात्परतर: प्रभु:।चिद्रूपश्चित्परिज्ञेयो स
Gajendra Moksham Stotramश्री शुक उवाच -एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि ।जजाप परमं जाप्यं प्राग्जन्मन्यनुशिक्षितम ॥१॥ गजेन्द्र उवाच -ऊं नमो भगवते तस्मै
वेदसार शिवस्तव भगवान शिव की स्तुति है। जिसे भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु आदिगुरु शंकराचार्य ने लिखा है। इस स्तुति
जीवन में सफलता की कुंजी है ‘सिद्ध कुंजिका’- दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक अत्यंत चमत्कारिक और तीव्र
इस मंत्र का जप पुष्य नक्षत्र एवं शुक्रवार में अवश्य करें। यह भगवती महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण
जय सच्चिदानंद। प्रात: स्मरामि हृदि संस्फुरदात्मतत्त्वंसच्चित्सुखं परमहंसगतिं तुरीयम्।यत्स्वप्नजागरसुषुप्तिमवैति नित्यंतद्ब्रह्म निष्कलमहं न च भूतसंघ:।।१।। भावार्थ-मैं प्रात:काल, हृदय में स्फुरित होते हुए
जय गणेशकीलक स्तोत्रम्- वेदों-पुराणों का मंत्र-तंत्र-स्तुत्ति-स्तोत्र आदि सभी कीलित है, अतः ये सभी निष्प्रभावी होते हैं। उन्हें अपने साधना करने