
संकटनाशक विष्णु स्तोत्र
संकटनाशक विष्णु स्तोत्र भगवान श्रीहरि विष्णु के संकष्टनाशन विष्णुस्तोत्र का पाठ करने से कष्ट से मुक्ति मिलती है एवं उनकी
संकटनाशक विष्णु स्तोत्र भगवान श्रीहरि विष्णु के संकष्टनाशन विष्णुस्तोत्र का पाठ करने से कष्ट से मुक्ति मिलती है एवं उनकी
अगर हम विष्णुपुराण वर्णित लघुविष्णुसहस्रनाम का ही पाठ करें तो निश्चित ही विष्णु सहस्रनाम का फल मिल जाता है। अलं
श्रीहरिविष्णु- स्तोत्र (हिंदीअर्थ सहित) जगत के पालनहार भगवान श्रीहरिविष्णु को समर्पित इस स्तोत्र की रचना श्री आचार्य ब्रह्मानंद के द्वारा
ऊर्ध्वाम्नाय तंत्र में शिव-पार्वती संवाद के अंतर्गत यह स्तोत्र स्वयं भगवान् शिव के मुख से प्रकट हुआ है, शिव जी
शिव हरे शिव राम सखे प्रभो, त्रिविधतापनिवारण हे विभो।अज जनेश्वर यादव पाहि मां, शिव हरे विजयं कुरु मे वरम्।।१।। हे
ॐ श्रीरामजयम्। ॐ भूमिपुत्र्यै च विद्महे, रामपत्न्यै च धीमहि। तन्नः सीता प्रचोदयात्।। सीता श्रीरामसज्जाया सानन्दवाक्स्वरूपिणी।सा सम्पूर्णसुमाङ्गल्या ज्वलदग्निशुचिस्फुरा।।१।। मदम्बा श्रीमहालक्ष्मीर्मच्चित्तविलसत्प्रभा।क्षमागुण्यातिसान्त्वा मा
परमपिता ब्रह्मा ने परमात्मा परंब्रह्म शिव की इस स्तोत्र द्वारा उपासना की थी। इसीलिए इस स्तोत्र को ब्रह्मा कृत माना
(हिंदी भावार्थ सहित) ॐ ह्रीं नमो नारायणाय अनन्ताय श्रींं ॐ। जगत के पालनहार भगवान हरि विष्णु को समर्पित इस स्तोत्र
शिव रूद्र अभिषेक एक बहुत ही उत्तम स्तोत्र जो महाभारत के द्रोणपर्व में अर्जुन द्वारा रचित है। इसी स्तोत्र के
(हिन्दी अर्थ सहित) अयि गिरि-नन्दिनि नंदित-मेदिनि विश्व-विनोदिनि नंदनुतेगिरिवर विंध्य शिरोधि-निवासिनि विष्णु-विलासिनि जिष्णुनुते।भगवति हे शितिकण्ठ-कुटुंबिनि भूरि कुटुंबिनि भूरि कृतेजय जय हे