
[श्रीशिवषडक्षरस्तोत्रम्]
।। ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।।१।। नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो

।। ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।।१।। नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो

।। ।। नित्यानंदकरी वराभयकरी सौंदर्य रत्नाकरीनिर्धूताखिल घोर पावनकरी प्रत्यक्ष माहेश्वरी।प्रालेयाचल वंश पावनकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलंबनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।। नाना रत्न विचित्र भूषणकरि

राधानामपरमसुखदाई मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी,प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी।व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते,कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१) समस्त मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों

श्री क्या है श्री हरि स्तोत्र ? भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित स्तोत्र की रचना श्री आचार्य ब्रह्मानंद द्वारा

रामरक्षा स्तोत्र भगवान श्रीराम की स्तुति है। इसमें भगवान राम की रक्षा पाने हेतु प्रार्थना की जाती है। इसके साथ,

हनुमानञ्जनासूनुर्वायुपुत्रो महाबल: ।रामेष्ट: फलगुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम: ॥ उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा ॥ एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन: ।स्वापकाले प्रबोधे च

आदित्य हृदय स्तोत्र का वर्णन अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए किया गया