गोवर्धन पूजा

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हमारो कान्हा गोवर्धन गिरधारी

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सभी देशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं तथा प्यार भरी राधे राधे जी..
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हिंदू धर्म में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मनुष्य का सीधा संबंध दिखाई देता है। इस पर्व से जुड़ी एक लोककथा है।
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एक समय की बात है श्रीकृष्ण अपने मित्र ग्वालों के साथ पशु चराते हुए गोवर्धन पर्वत जा पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि बहुत से व्यक्ति एक उत्सव मना रहे थे।
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श्रीकृष्ण ने इसका कारण जानना चाहा तो वहाँ उपस्थित गोपियों ने उन्हें कहा कि आज यहाँ मेघ व देवों के स्वामी इंद्रदेव की पूजा होगी और फिर इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे, फलस्वरूप खेतों में अन्न उत्पन्न होगा और ब्रजवासियों का भरण-पोषण होगा।
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यह सुन श्रीकृष्ण सबसे बोले कि इंद्र से अधिक शक्तिशाली तो गोवर्धन पर्वत है जिनके कारण यहाँ वर्षा होती है और सबको इंद्र से भी बलशाली गोवर्धन का पूजन करना चाहिए।
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श्रीकृष्ण की बात से सहमत होकर सभी गोवर्धन की पूजा करने लगे।
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जब यह बात इंद्रदेव को पता चली तो उन्होंने क्रोधित होकर मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर मूसलाधार बारिश करें।
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भयावह बारिश से भयभीत होकर सभी गोपियां-ग्वाले श्रीकृष्ण के पास गए।
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यह जान श्रीकृष्ण ने सबको गोवर्धन-पर्वत की शरण में चलने के लिए कहा। सभी गोपियां-ग्वाले अपने पशुओं समेत गोवर्धन की तराई में आ गए।
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तत्पश्चात श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा पर उठाकर छाते-सा तान दिया।
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इन्द्रदेव के मेघ सात दिन तक निरंतर बरसते रहें किन्तु श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी।
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यह अद्भुत चमत्कार देखकर इन्द्रदेव असमंजस में पड़ गए। तब ब्रह्मा जी ने उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार है।
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सत्य जान इंद्रदेव श्रीकृष्ण से क्षमायाचना करने लगे।
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श्रीकृष्ण के इन्द्रदेव को अहंकार को चूर-चूर कर दिया था अतः उन्होंने इन्द्रदेव को क्षमा किया और सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को भूमि तल पर रखा और ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर वर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाए।
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तभी से यह पर्व प्रचलित है और आज भी पूर्ण श्रद्धा भक्ति से मनाया जाता है।
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सबसे जरूरी बात दीपावली त्‍यौहार के दूसरे दिन वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण पड़ रहा है जिस कारण ज्‍योतिषों, पंचाग के अनुसार गोवर्धन पूजा की तारीख एक दिन आगे बढ़ा दी गई है।
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वैसे तो गोवर्धन पूजा हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा (पहला दिन) को गोवर्धन पूजा जिसे अन्‍नकूट पूजा के नाम से जाना जाता है।
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इस वर्ष 24 अक्‍टूबर की दिवाली है जिस कारण 25 अक्‍टूबर का गोवर्धन पूजा है। पर सूर्य ग्रहण होने के कारण इसकी तिथि 25 अक्‍टूबर से 26 अक्‍टूबर बढ़ा दी गई है।
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अत: इस बार गोवर्धन पूजा 26 अक्‍टूबर को मनाई जाएगी।
( जय जय श्री राधे )
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हमारो कान्हा गोवर्धन गिरधारी . सभी देशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं तथा प्यार भरी राधे राधे जी.. . हिंदू धर्म में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मनुष्य का सीधा संबंध दिखाई देता है। इस पर्व से जुड़ी एक लोककथा है। . एक समय की बात है श्रीकृष्ण अपने मित्र ग्वालों के साथ पशु चराते हुए गोवर्धन पर्वत जा पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि बहुत से व्यक्ति एक उत्सव मना रहे थे। . श्रीकृष्ण ने इसका कारण जानना चाहा तो वहाँ उपस्थित गोपियों ने उन्हें कहा कि आज यहाँ मेघ व देवों के स्वामी इंद्रदेव की पूजा होगी और फिर इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे, फलस्वरूप खेतों में अन्न उत्पन्न होगा और ब्रजवासियों का भरण-पोषण होगा। . यह सुन श्रीकृष्ण सबसे बोले कि इंद्र से अधिक शक्तिशाली तो गोवर्धन पर्वत है जिनके कारण यहाँ वर्षा होती है और सबको इंद्र से भी बलशाली गोवर्धन का पूजन करना चाहिए। . श्रीकृष्ण की बात से सहमत होकर सभी गोवर्धन की पूजा करने लगे। . जब यह बात इंद्रदेव को पता चली तो उन्होंने क्रोधित होकर मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर मूसलाधार बारिश करें। . भयावह बारिश से भयभीत होकर सभी गोपियां-ग्वाले श्रीकृष्ण के पास गए। . यह जान श्रीकृष्ण ने सबको गोवर्धन-पर्वत की शरण में चलने के लिए कहा। सभी गोपियां-ग्वाले अपने पशुओं समेत गोवर्धन की तराई में आ गए। . तत्पश्चात श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा पर उठाकर छाते-सा तान दिया। . इन्द्रदेव के मेघ सात दिन तक निरंतर बरसते रहें किन्तु श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी। . यह अद्भुत चमत्कार देखकर इन्द्रदेव असमंजस में पड़ गए। तब ब्रह्मा जी ने उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार है। . सत्य जान इंद्रदेव श्रीकृष्ण से क्षमायाचना करने लगे। . श्रीकृष्ण के इन्द्रदेव को अहंकार को चूर-चूर कर दिया था अतः उन्होंने इन्द्रदेव को क्षमा किया और सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को भूमि तल पर रखा और ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर वर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाए। . तभी से यह पर्व प्रचलित है और आज भी पूर्ण श्रद्धा भक्ति से मनाया जाता है। . . सबसे जरूरी बात दीपावली त्‍यौहार के दूसरे दिन वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण पड़ रहा है जिस कारण ज्‍योतिषों, पंचाग के अनुसार गोवर्धन पूजा की तारीख एक दिन आगे बढ़ा दी गई है। . वैसे तो गोवर्धन पूजा हर वर्ष कार्तिक मास की शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा (पहला दिन) को गोवर्धन पूजा जिसे अन्‍नकूट पूजा के नाम से जाना जाता है। . इस वर्ष 24 अक्‍टूबर की दिवाली है जिस कारण 25 अक्‍टूबर का गोवर्धन पूजा है। पर सूर्य ग्रहण होने के कारण इसकी तिथि 25 अक्‍टूबर से 26 अक्‍टूबर बढ़ा दी गई है। . अत: इस बार गोवर्धन पूजा 26 अक्‍टूबर को मनाई जाएगी। ( जय जय श्री राधे ) ~~~~~

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