सावन के गीत
सावन की घटा निरखि निरखि
मन बन जाए वन की मोरनीयां।
झूम झूम कर नाचुं आज सखी
छम छम बाजे मोरी पैजनिया।।
कासे कहूं मैं हिय की बतिया
चम चम चम चम चमके बिजुरिया।।
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया
काहे ना आए श्याम सांवरिया।।
हरी हरी चुड़ी,हरी हरी बिंदियां
कर सोलह श्रृंगार सब सखियां।
प्रीत के गीत अधरों पे सजाकर
श्याम रंग में रंग लिन्ही चुनरिया।।
आ जाओ अब कृष्ण कन्हैयां
बुला रही हैं राधा संग सखियां।
देख दशा कान्हा मोर बन आएं
प्रेम मगन हो नाचे गोप गोपियां।।
सोनिया शर्मा