हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद
मन हमेशा आत्मा से खुराक़ लेता है
ये मन आत्मा की पावर से इतना बलवान ,उदंडी,हो जाता है कि
ये आत्मा की ही आवाज नहीं सुनता
बल्कि आत्मा पर ही हावी हो जाता है।
ओर अपनी इन्द्रियों रूपी दासियों को नचाकर विषयों में भोग भोगता है।
इसलिए
आत्मा इसके बंधन में आकर जीवात्मा होकर बार-बार योनियों में जन्म लेती है।
ये आत्मा मुक्त नहीं हो पाती
इसलिए
मन के कहे मत चालिए मन के मते अनेक
मन पर जो सवार हैं सो साधु कोई एक
मन विकराल हैं।
इसे कैद करना सांड को कैद करने के समान है।
इसे धीरे धीरे
ईश्वर की ओर ले जाएं,चाहे दो मिनट ही बैठे
जैसे
ढीठ बच्चे को किसी भी चीज का लालच देकर अपनी बात मनवाना
ठीक ऐसे ही
मन को ईश्वर की ओर लगाए
हिम्मत न हारें
ज्यों ज्यों मन ईश्वर की ओर बढ़ेगा,इसे आनंद की अनुभूति होगी
क्योंकि
ईश्वर में पावर शक्ति है।उसके आकृषण से ये उसकी ओर खिंचेगा जब हम
निरंतर अभ्यास करेंगे तो एक दिन इस मन को उसका रंग चढ़ जाएगा
तब ये मन स्वार्थी नहीं होगा निस्वार्थ भाव से ईश्वर ही हो जाएगा
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि
इन्द्रियों में मन मैं हूं
तब ये मन मुनिराम हो जाएगा
Hari Om Tat Sat Jai Sachchidanand 🌹🙏
the mind is always fed by the soul
This mind becomes so strong, buoyant, with the power of the soul that
He doesn’t listen to the voice of the soul
Rather, it dominates the soul itself.
And by dancing the maidservants of his senses, he enjoys in the subjects.
so
The soul comes in its bondage and takes birth again and again in different species.
this soul can’t be free
so
don’t follow what your heart tells you
The one who rides on the mind is a saint
The mind is restless.
Capturing it is like imprisoning a bull.
take it slowly
Lead to God, even if it only takes two minutes
As
coax a brat
just like that
turn your mind to god
don’t lose heart
As the mind moves towards God, it will experience bliss
Because
There is power in God. It will be pulled towards him by his attraction when we
If you practice continuously, then one day this mind will get its color.
Then this mind will not be selfish, it will selflessly become God.
Lord Krishna has said that
I am the mind in the senses
then this mind will become muniram