!! श्रीहरि: !!
श्रीराम की कृपा —
तुलसी रामहु तें अधिक राम भगत जियँ जान ।
रिनिया राजा राम भे धनिक भए हनुमान ।।
भावार्थ -तुलसीदास जी कहते हैं कि श्रीराम के भक्त को रामजी से भी अधिक समझो । राजराजेश्वर श्रीरामचन्द्र जी स्वयं ऋणी हो गये औऱ उनके भक्त श्री हनुमानजी उनके साहूकार बन गये (श्री रामजी ने यहाँ तक कह दिया कि मैं तुम्हारा ऋण कभी चुका ही नही सकता । (गोस्वामी तुलसीदास जी रचित-दोहावली-१०७, पेज-३६-गीताप्रेस ) ।
प्रभु संकीर्तन 45
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