आध्यात्मिक विचार
सारथि
महा अजय संसार रिपु जीति सकइ सो वीर।
जाकें अस रथ होइ दृढ़ सुनहु सखा मतिधीर।।
कठोपनिषद् के अनुसार शरीर रथ है, आत्मा रथी है, दस इन्द्रियाँ घोड़े हैं, बुद्धि सारथि और मन लगाम है
श्रीकृष्ण स्वयं अर्जुन की बुद्धि (पथ-प्रदर्शक) बने…. अर्जुन की विजय तो तभी हो चुकी थी, जब भगवान उनका रथ हांकने को तैयार हो गए थे क्योंकि ‘जहां कृष्ण हैं, वहीं धर्म है और जहां धर्म है, वहीं विजय है’ श्रीकृष्ण अर्जुन का सारथ्य स्वीकार कर संसार में ‘पार्थसारथी’ कहलाए
भज मन कृष्ण कन्हैया, नैया पार हो जाए, लख चौरासी से तेरा तो, उद्धार हो जाए
अपने अपने गुरुदेव की जय
श्री कृष्णाय समर्पणं