है मनमोहन गिरधारी..
शीत लहर चले जो बृज में,
शाल दुशाला ले आऊं..!
लालन जू को अचक उठा के,
तातो जल मुख धुलवाऊं..!!
मधुर सुहानी नवीन प्रभात में,
ताते दूध को भोग लगाऊं..!
निहारूं लालन को अलसाते,
अधखुली अंखियन पे वारी जाऊं..!!
जय श्री राधे कृष्णा जी
है मनमोहन गिरधारी..
शीत लहर चले जो बृज में,
शाल दुशाला ले आऊं..!
लालन जू को अचक उठा के,
तातो जल मुख धुलवाऊं..!!
मधुर सुहानी नवीन प्रभात में,
ताते दूध को भोग लगाऊं..!
निहारूं लालन को अलसाते,
अधखुली अंखियन पे वारी जाऊं..!!
जय श्री राधे कृष्णा जी