हरे कृष्णा
जिसके वाणी गदगद हो जाती है, जिसका चित्त द्रवित हो जाता है, जो बार-बार रोने लगता है, कभी हँसने लगता है, कभी लज्जा छोड़कर उच्च स्वर से गाने लगता है, कभी नाचने लगता है ऐसा मेरा भक्त समग्र संसार को पवित्र करता है।’
इसलिए रसना को सरस भगवत्प्रेम में तन्मय करते हुए जैसे आये वैसे ही भगवन्नाम के कीर्तन में संलग्न होना चाहिए।