सुविचार ज्ञानामृत 12

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व्यर्थ बोलने की अपेक्षा मौन रहना यह वाणी की प्रथम विशेषता है;
सत्य बोलना यह वाणी की दूसरी विशेषता है;
प्रिय बोलना यह वाणी की तीसरी विशेषता है; और
धर्मगत बोलना यह वाणी की चौथी विशेषता है;
यह चारों ही क्रमशः एक दूसरे से श्रेष्ठ हैं…!!
हर हर महादेव
   

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