श्रीमद भगवद् गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि जो निरंतर मेरी कथा और नाम स्मरण में प्रीति पूर्वक लगे रहते हैं। उन्हीं भक्तों को मैं कृपा करके वह बुद्धि प्रदान करता हूँ जिस बुद्धि से मेरी लीला समझ आती है।
कुछ लोग हैं जो नाम आश्रय किये बिना या कथा के बिना ईश्वर की खोज में लगे हैं। लेकिन वो मार्ग जिस पर चलने से गोविन्द मिलते हैं वो तो श्रीकृष्ण ही भक्त पर कृपा करके बतलाते हैं। कथा और नाम जप से हृदय विकार मुक्त होता है।
प्रभु कृपा करने को बाध्य हो जाते हैं।
संसार में अपनी बुद्धि , रूप , कुशलता , चातुर्यता, पद , धन किसी भी वस्तु पर अहम मत करना। ये सब तुम्हारी बुद्धि के कारण नहीं भगवद अनुग्रह के कारण तुम्हें प्राप्त हुआ है। बुद्धि तो मिटने वाला तत्व है पर कृपा तो अहर्निश बरसती रहती है।
भगवान् की कथा और नाम को कभी भी मत भूलो।
!!!…शरीर को संसार से और स्वयं को परमात्मा से अलग मानना गलती है…!!!
कली को रंग मिला ; *फूलों को निखार मिला !*
जब मन कमजोर होता है,*
परिस्थितियां समस्या बन जाती हैं ।
जब मन स्थिर होता है,
परिस्थितियां चुनौती बन जाती हैं ।
जब मन मजबूत होता है,
*परिस्थितियां अवसर बन जाती हैं ।
*इसलिए मन का मजबूत होना बहुत आवश्यक है ।*
जो विषम परिस्थितियों में भी अपने मन को स्थिर व मजबूत रखता है, वही जीवन का आनन्द प्राप्त कर सकता है ।
जैसी भी हो परिस्थिति,
एक सी रहे मनोस्थिति