आज से प्रारंभ खरमास की पौराणिक कथा ।

खरमास को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. भगवान सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते है. सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण थक कर चूर हो जाते हैं. घोड़ों की ऐसी हालत देखकर सूर्यदेव का मन भी एक बार द्रवित हो गया, जिसके बाद वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन सूर्यदेव को तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा, लेकिन जब वे तालाब के पास पहुंचे तो देखा कि वहां दो खर मौजूद हैं.

भगवान सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम देने के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोड़ लिया. गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही थी. इस दौरान रथ की गति हल्की हो जाती है. इस दौरान जैसे-तैसे सूर्यदेव इस दौरान एक मास का चक्र पूरा करते हैं. इस बीच घोड़े भी​ विश्राम कर चुके होते हैं. इसके बाद सूर्य का रथ फिर से अपनी गति में लौट आता है. इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है, इसीलिए हर साल खरमास लगता है.
खरमास में इन बातों का रखें ध्यान

वैवाहिक कार्य, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, मुंडन आदि कोई भी मांगलिक कार्य न करें.

मन में किसी के प्रति बुरी भावना न लाएं.

इस माह के दौरान मांस-मदिरा और शराब का सेवन न करें. संभव हो तो प्याज और लहसुन से भी परहेज करें.

खरमास में चारपाई त्यागकर जमीन पर सोना चाहिए. इससे सूर्यदेव की कृपा बरसती है.

खरमास में थाली छोड़कर पत्तल में भोजन करना शुभकारी माना गया है.

इस माह लोगों को किसी से लड़ाई-झगड़ा करने से बचना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए.

खरमास में भगवान विष्णु की पूजा अत्यंत लाभकारी है. मां लक्ष्मी का आगमन होता है.

तुलसी पूजा करनी चाहिए. शाम को तुलसी पौधे पर घी दीपक जलाएं. समस्याएं कम होंगी.



There is a popular legend about Kharmas. Lord Suryadev continuously revolves around the universe riding on his chariot of seven horses. Suryadev is not allowed to stop anywhere, but the horses attached to the chariot get tired and exhausted due to continuous walking and lack of rest. Seeing such condition of the horses, Suryadev’s heart was also moved once, after which he took the horses to the bank of the pond, but Suryadev also realized that if the chariot stops then disaster will happen, but when they reached near the pond Then saw that there were two banks present there.

Lord Suryadev left the horses there to drink water and rest and attached the donkeys to the chariot. The donkeys had to struggle a lot to pull the chariot of Sun God. During this time the speed of the chariot becomes light. During this period somehow the Sun God completes the cycle of one month. Meanwhile the horses have also rested. After this the Sun’s chariot again returns to its speed. In this way, this sequence continues every year, that is why Kharmas occurs every year. Keep these things in mind during Kharmas

Do not do any auspicious work like marriage ceremony, house warming, bhoomi pujan, mundan etc.

Do not harbor bad feelings towards anyone.

Do not consume meat, liquor and alcohol during this month. If possible, avoid onion and garlic also.

In Kharmas one should leave the cot and sleep on the ground. Due to this, the blessings of Sun God are showered.

It is considered auspicious to leave the plate and eat food in a leaf during Kharmas.

This month people should avoid fighting with anyone and should not tell lies.

Worship of Lord Vishnu in Kharmas is very beneficial. Mother Lakshmi arrives.

Tulsi should be worshipped. Light a ghee lamp on the Tulsi plant in the evening. Problems will reduce.

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