अधिकमास में सास बहु का नारायण तरायण और पारायण


एक घर मे दोई सास बहू रहती थी । सास ने बहु से कहा , बहु अब कल सी अधिकमास लग रहा है तो मैं सुबह से अधिकमास नहाउंगी रोज । तो बहु ने कहा माताजी ये अधिकमास कई होय म्हारे भी बताओ तो सास बोली कि जिस महीने संक्रांति नही होती वो अधिकमास होता और इसको पुरषोत्तम मास भी कहते है । पुरषोत्तम मास में सुबह सूर्योदय के पहले उठी ने नारायण , तरायण और परायण करना चाहिए । तो बहु बोली माँ नारायण , तरायण और परायण कैसो करणु ।
तो सास बोली कि सुबह सूर्योदय के पहले उठी ने तालाब में नहानु उसके बाद नारायण यानी सूर्य नारायण को पानी चढ़ाओ और ध्रुव तारा को दर्शन करो , परायण मतलब की रामायण को मास परायण करो
बहु ने कहा कि माँ मैं भी करूंगी तो सास बोली नही नही तू भी करेगी तो घर को सुबह को काम कुन करेगा । तो बहु भी बिचारि डर गई ।
दूसरे दिन सासुजी तो 4 बजे उठी ने तालाब में गया नहाने तो बहु भी पीछे ही उठ गयी और मटके के निचे का कुंडा का पानी भरा उससे नहा ली । और नारायण , तरायण कर लिया । सब जल्दी जल्दी कर लिया कि कहि सासुजी आ गयी तो लड़ेगी ।
ऐसे करते करते दो तीन दिन निकले । साथ मे काम भी करती । रोज कुएं का पानी भरने जाती । गुंडी बेड़ा से पानी भी भरती । एक दिन कुएं का पानी लेने गयी तो उससे बेड़ा नही उठ रहा था रोज तो उठा कर ले जाती थी आज क्यों नही उठा पा रही मैं , बहु सोच में पड़ गयी । उसने इधर उधर देखा तो एक नोजवान लड़का दिखाई दिया , तो उसने उसे बुलाया और कहा भाई मुझे ये गुंडी बेड़ा उठवा दो रोज उठा लेती हूं पर आज नही उठा पा रही तो नोजवान ने उसकी मदद की और साथ मे कहता चला गया कि ” सासु नहाव उण्ड और बहू नहाव कुण्ड ”
एक दिन, 2 दिन , रोज ही ये नियम बन गया कि बहु से बेड़ा नही उठता और वही लड़का उसकी मदद करता और वही बोलता चला जाता कि सासु नहाव उण्ड और बहू नहाव कुण्ड
एक दिन बहु ने उससे पूछा कि भाई तो ऐसा क्यों बोलता है तो वह बोला कि तुम रोज नहाती हो ना कुंडे के पानी से । बहु ने पूछा कि तुझे कैसे पता और क्या नाम है तुम्हारा ?
तो वह बालक मधुर मुस्कान से बोला मेरा नाम दामोदर है । और कहते ही अपना विराट रूप दिखा दिया ।
बहु तो देखते ही रह गयी और भगवान के श्री चरणों मे गिर गयी और कहने लगी । माफ करना प्रभु मैने अज्ञानता वश आपको नही पहचाना
इधर सासु माँ को भी बीस , पच्चीस दिन हो गए तो उसने बहु से कहा कि कल मैं अधिकमास का जोड़ा जिमाउंगी तो कल 5 पकवान बनाना । अब बहु तो चिंता में पड़ गयी कि अधिकमास तो मैं भी कर रही हु मैं जोड़ा कहा से जिमाउंगी सोचते हुए रात गयी सुबह वैसे ही नारायण , तरायण किया और पानी लेने गयी कुएं पर । देखा तो दामोदर वही था तो उसको अपनी समस्या बताई । अब दामोदर ने कहा की बहन चिंता क्यों कर रही है मै हु ना मैं आ जाऊँगा जोड़ा जीमने , तो बहु बोली मैं कैसे बुलाने आऊँगी तो दामोदर ने कहा कुछ नही 2 थाली परोस कर तुलसी वृन्दावन में रख देना और घंटी बजा देना तो मैं आ जाऊँगा । बहु बोली ठीक है ।
अब दूसरे दिन भी जल्दी नारायण ,तरायण किया और 5 पकवान बना लिये सासु जी से कहा कि बुला लाओ , भोजन तैयार है ।
सास ने भी जोड़े कोआगे बिठाया और थाली परोस दी । बहु भी पीछे के दरवाजे से तुलसी वृन्दावन में 2 थाली लेकर गयी और गरुड़ घंटी बजा दी राधा कृष्ण आ गए बहु के लिए जोड़ा जीमने रसोई में बैठे भोजन करने लगे । बहु भाग भाग कर आगे सास जी के जोड़े को भी परोस रही और रसोई में बैठे दामोदर राधा को भी परोस रही ।
आगे बहु ने देखा कि सासु माँ ने तो जोड़े को टका ( पैसा ) कपड़ा सब दे रही तो अंदर आकर सोचने लगी कि मैं दामोदर को क्या दूंगी तो भगवान समझ गए ।
प्रभु ने कहा तुलसी लाकर मेरे हाथ मे पर अर्पण करो । तो बहु झट झट तुलसी का पत्ता लाई और राधा दामोदर के हाथ पर रख दिया तो देखा कि तुलसी तो सोने का टका बन गयी ।मजे में दोनो जोड़े जिम लिए और चले गए
अब सासु जी ने कहा कि चल बहु अपन दोनो भी भोजन करते है । तो इधर रसोई में देखा तो 2 थाली भरी हीरे , मोती , माणिक , कलश भी सोने का हो गयाऔर जाते हुए भगवान के पद चिन्ह मिले ।
सासु जी को आश्चर्य हुआ बहु से पूछा तो बहु ने पूरी बात बताई ।
सास बोली बहु तू बड़ी भागवान है तेरे लिए भगवान श्री क्रष्ण स्वयं राधा के साथ आये 🙏🏻🙏🏻। सास , बहु दोनो का अधिकमास संपन्न हुआ । कयता , सुनता , हुंकार भरता , कहानी पड़ता सभी बहनों को पुरषोत्तम मास सफल होय 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
बोलो राधे कृष्ण 🙏🏻🙏🏻🌹🌹💐💐



एक घर मे दोई सास बहू रहती थी । सास ने बहु से कहा , बहु अब कल सी अधिकमास लग रहा है तो मैं सुबह से अधिकमास नहाउंगी रोज । तो बहु ने कहा माताजी ये अधिकमास कई होय म्हारे भी बताओ तो सास बोली कि जिस महीने संक्रांति नही होती वो अधिकमास होता और इसको पुरषोत्तम मास भी कहते है । पुरषोत्तम मास में सुबह सूर्योदय के पहले उठी ने नारायण , तरायण और परायण करना चाहिए । तो बहु बोली माँ नारायण , तरायण और परायण कैसो करणु । तो सास बोली कि सुबह सूर्योदय के पहले उठी ने तालाब में नहानु उसके बाद नारायण यानी सूर्य नारायण को पानी चढ़ाओ और ध्रुव तारा को दर्शन करो , परायण मतलब की रामायण को मास परायण करो बहु ने कहा कि माँ मैं भी करूंगी तो सास बोली नही नही तू भी करेगी तो घर को सुबह को काम कुन करेगा । तो बहु भी बिचारि डर गई । दूसरे दिन सासुजी तो 4 बजे उठी ने तालाब में गया नहाने तो बहु भी पीछे ही उठ गयी और मटके के निचे का कुंडा का पानी भरा उससे नहा ली । और नारायण , तरायण कर लिया । सब जल्दी जल्दी कर लिया कि कहि सासुजी आ गयी तो लड़ेगी । ऐसे करते करते दो तीन दिन निकले । साथ मे काम भी करती । रोज कुएं का पानी भरने जाती । गुंडी बेड़ा से पानी भी भरती । एक दिन कुएं का पानी लेने गयी तो उससे बेड़ा नही उठ रहा था रोज तो उठा कर ले जाती थी आज क्यों नही उठा पा रही मैं , बहु सोच में पड़ गयी । उसने इधर उधर देखा तो एक नोजवान लड़का दिखाई दिया , तो उसने उसे बुलाया और कहा भाई मुझे ये गुंडी बेड़ा उठवा दो रोज उठा लेती हूं पर आज नही उठा पा रही तो नोजवान ने उसकी मदद की और साथ मे कहता चला गया कि ” सासु नहाव उण्ड और बहू नहाव कुण्ड ” एक दिन, 2 दिन , रोज ही ये नियम बन गया कि बहु से बेड़ा नही उठता और वही लड़का उसकी मदद करता और वही बोलता चला जाता कि सासु नहाव उण्ड और बहू नहाव कुण्ड एक दिन बहु ने उससे पूछा कि भाई तो ऐसा क्यों बोलता है तो वह बोला कि तुम रोज नहाती हो ना कुंडे के पानी से । बहु ने पूछा कि तुझे कैसे पता और क्या नाम है तुम्हारा ? तो वह बालक मधुर मुस्कान से बोला मेरा नाम दामोदर है । और कहते ही अपना विराट रूप दिखा दिया । बहु तो देखते ही रह गयी और भगवान के श्री चरणों मे गिर गयी और कहने लगी । माफ करना प्रभु मैने अज्ञानता वश आपको नही पहचाना इधर सासु माँ को भी बीस , पच्चीस दिन हो गए तो उसने बहु से कहा कि कल मैं अधिकमास का जोड़ा जिमाउंगी तो कल 5 पकवान बनाना । अब बहु तो चिंता में पड़ गयी कि अधिकमास तो मैं भी कर रही हु मैं जोड़ा कहा से जिमाउंगी सोचते हुए रात गयी सुबह वैसे ही नारायण , तरायण किया और पानी लेने गयी कुएं पर । देखा तो दामोदर वही था तो उसको अपनी समस्या बताई । अब दामोदर ने कहा की बहन चिंता क्यों कर रही है मै हु ना मैं आ जाऊँगा जोड़ा जीमने , तो बहु बोली मैं कैसे बुलाने आऊँगी तो दामोदर ने कहा कुछ नही 2 थाली परोस कर तुलसी वृन्दावन में रख देना और घंटी बजा देना तो मैं आ जाऊँगा । बहु बोली ठीक है । अब दूसरे दिन भी जल्दी नारायण ,तरायण किया और 5 पकवान बना लिये सासु जी से कहा कि बुला लाओ , भोजन तैयार है । सास ने भी जोड़े कोआगे बिठाया और थाली परोस दी । बहु भी पीछे के दरवाजे से तुलसी वृन्दावन में 2 थाली लेकर गयी और गरुड़ घंटी बजा दी राधा कृष्ण आ गए बहु के लिए जोड़ा जीमने रसोई में बैठे भोजन करने लगे । बहु भाग भाग कर आगे सास जी के जोड़े को भी परोस रही और रसोई में बैठे दामोदर राधा को भी परोस रही । आगे बहु ने देखा कि सासु माँ ने तो जोड़े को टका ( पैसा ) कपड़ा सब दे रही तो अंदर आकर सोचने लगी कि मैं दामोदर को क्या दूंगी तो भगवान समझ गए । प्रभु ने कहा तुलसी लाकर मेरे हाथ मे पर अर्पण करो । तो बहु झट झट तुलसी का पत्ता लाई और राधा दामोदर के हाथ पर रख दिया तो देखा कि तुलसी तो सोने का टका बन गयी ।मजे में दोनो जोड़े जिम लिए और चले गए अब सासु जी ने कहा कि चल बहु अपन दोनो भी भोजन करते है । तो इधर रसोई में देखा तो 2 थाली भरी हीरे , मोती , माणिक , कलश भी सोने का हो गयाऔर जाते हुए भगवान के पद चिन्ह मिले । सासु जी को आश्चर्य हुआ बहु से पूछा तो बहु ने पूरी बात बताई । सास बोली बहु तू बड़ी भागवान है तेरे लिए भगवान श्री क्रष्ण स्वयं राधा के साथ आये 🙏🏻🙏🏻। सास , बहु दोनो का अधिकमास संपन्न हुआ । कयता , सुनता , हुंकार भरता , कहानी पड़ता सभी बहनों को पुरषोत्तम मास सफल होय 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 बोलो राधे कृष्ण 🙏🏻🙏🏻🌹🌹💐💐

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