भक्त के हृदय में भगवान बसते हैं,

एक बार अर्जुन अपने सखा श्री कृष्ण के साथ वन में विहार कर रहे थे। अचानक ही अर्जुन के मन में एक प्रश्न आया और उसने जिज्ञासा के साथ श्री कृष्ण की तरफ देखा ।

श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा – हे पार्थ! क्या पूछना चाहते हो ? पूछो । अर्जुन ने पूछा, हे माधव! पूरे ब्रह्माड में सबसे बड़ा कौन हैं ? श्री कृष्ण ने कहा – हे पार्थ ! सबसे बड़ी तो धरती ही दिखती हैं, पर इसे समुद्र ने घेर रखा हैं मतलब यह बड़ी नहीं ।

समुद्र को भी बड़ा नहीं कहा जा सकता, इसे अगस्त्य ऋषि ने पी लिया था, इसका मतलब अगस्त्य ऋषि बड़े हैं, पर वे भी आकाश के एक कोने में चमक रहे हैं। इसका मतलब आकाश बड़ा हैं !

पर इस आकाश को भी मेरे बामन अवतार ने अपने एक पग में नाप लिया था। इसका मतलब सबसे बड़ा मैं ही हूँ ! परंतु मैं भी बड़ा कैसे हो सकता हूँ, क्यूंकि मैं अपने भक्तों के ह्रदय में वास करता हूँ।

अर्थात सबसे बड़ा भक्त हैं । इस तरह भक्त के हृदय में भगवान बसते हैं, इसलिए इस संसार में सबसे बड़ा भक्त हैं ।

राधे राधे गोविंदा ❤️

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *