आज का प्रभु संकीर्तन।भगवान श्री कृष्ण कहते हैं मेरे सच्चे भक्त वही होते हैं जो कुछ लेने में नही देने मे विश्वास रखते हैं। क्योंकि प्रकृति का भी यही नियम है वह सब कुछ हमें बिना किसी शुल्क अर्थात निशुल्क प्रदान करती है।
पढिये कथा।एक बादशाह ने एक दिन अपने राज्य में घोषणा करवाई कि अगले दिन उसके राज्य के हर जरूरतमंद व्यक्ति की हर जरूरत पूरी की जाएगी।
अगले दिन उसके राजमहल के बाहर लोगों की भीड़ जमा होने लगी ।सभी लोग कतार में खड़े होने लगे एक फकीर था ,जो चुपचाप कतार के अंत में जाकर खड़ा हो गया कुछ देर बाद एक व्यक्ति और आया और वह फकीर के पीछे खड़ा हो गया ।फकीर ने अपना स्थान छोड़कर उसको दे दिया इस प्रकार हर आने वाले व्यक्ति को वो अपना स्थान देकर स्वयं उस के पीछे खड़ा हो जाता। इधर राजा अपना खजाना बांटता रहा जब आखरी में उसका नंबर आया तब राजा ने उससे पूछा ‘है फकीर यदि मेरा सारा खजाना समाप्त हो जाता तो तुम्हें तो कुछ भी नहीं मिलता, लेकिन तुमने उसकी चिंता ना करके दूसरों लोगों को आगे क्यों किया? ‘
वह बोला महाराज आप बहुत किस्मत वाले हैं परमात्मा की आप पर बड़ी कृपा है कि आप के पास देने को इतना सब कुछ है मैं फकीर हूं मैं कुछ रखता ही नहीं हूं तो मेरे पास देने को कुछ नहीं था , लेकिन हां एक अवसर अवश्य था जो कि आपने मुझको दिया था , जो मैं किसी को दे सकता था । इसलिए मैंने वह अवसर अन्य लोगों को दे दिया।
राजा उसकी उदारता और सहृदयता से बहुत प्रभावित हुआ उसने उसका बहुत आदर सत्कार किया और उसकी पूरी झोली भर कर उसे शाही सम्मान के साथ विदा किया ।मित्रों हम मैं से कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास देने को कुछ नहीं है ,
हम चाहें तो अपनी हंसी किसी को दे सकते हैं ,हम चाहे तो अस्पताल में जाकर बेसहारों का सहारा बन सकते हैं ,हम चाहें तो सड़क किनारे बैठे किसी भूखे बच्चे को दूध रोटी खिला सकते हैं। परमात्मा ने हमको बहुत धनी बनाया है ,लेकिन हम उस धन का उपयोग नहीं करते हैं , और फालतू का धन जोड़ने में लगे रहते हैं ।इसलिए हमें ऐसा कोई अव्सर नहीं गंवाना चाहिए जहां हम कुछ बांट सके, हम किसी को कुछ दे सके,हम जितना बाटेंगे वह अनंत गुना होकर वापस आ जाएगा।पुण्य किए जाओ ,परमार्थ किए जाओ ,
फल की चिंता मत करो वह तो आना पक्का है।जय जय श्री राधे कृष्णा जी ।श्री हरि आपका कल्याण करें।
Today’s Prabhu Sankirtan. Lord Shri Krishna says that my true devotees are those who believe in giving and not in taking. Because nature also has the same rule, it provides everything to us without any charge i.e. free of cost.
Read the story. One day an emperor made an announcement in his kingdom that the next day every need of every needy person in his kingdom would be fulfilled.
The next day a crowd of people started gathering outside his palace. All the people started standing in the queue, there was a fakir, who silently stood at the end of the queue, after some time another person came and he stood behind the fakir. The fakir left his place and gave it to him, in this way he would have given his place to every person who came and himself would have stood behind him. Here the king kept distributing his treasure, when his number finally came, then the king asked him, ‘ O Fakir, if all my treasure was exhausted, you would not have got anything, but why did you forward other people without worrying about it? ,
He said Maharaj, you are very lucky, God has blessed you that you have so much to give, I am a beggar, I do not keep anything, so I had nothing to give, but yes there was definitely an opportunity which That you gave me what I could have given to someone. So I gave that opportunity to other people.
The king was very impressed by his generosity and kindness, he honored him very much and sent him away with royal honors by filling his entire bag. Friends, none of us is a person who has nothing to give,
If we want, we can give our laughter to someone, if we want, we can go to the hospital and become the support of the destitute, if we want, we can feed milk and bread to a hungry child sitting on the roadside. God has made us very rich, but we do not use that money, and keep on adding unnecessary money. That’s why we should not miss any such opportunity where we can share something, we can give something to someone, we Whatever you share, it will come back infinite times. Do good deeds, do charity,
Don’t worry about the result, it is sure to come. Jai Jai Shri Radhe Krishna ji. May Shri Hari bless you.