।।श्रीहरिः।।
नामजप से जो लाभ होता है वह वर्णनातीत है।मुझे लगता है शास्त्रों और संतों ने जो नाम महिमा का वर्णन किया है वह बहुत कम है।बस,इतना समझिये—रामु न सकहि नाम गुन गाई।।
नामजप की कभी भी तृप्त नहीं होने वाली प्यास का जग जाना नामजप में विलक्षण प्रगति का सूचक है। ऐसा होने पर नामजप का छूटना सहन नहीं होता । नामजप छूटने पर साधक का मन जल से अलग हुई विकल मछली की भाँति तड़पने लगता है।यह कोरी कल्पना नहीं, किन्तु परम सत्य का सत्य है।किसी भाग्यशाली ने नाम के इस अमृतमय स्वाद को चखा है। मानस में गोस्वामीजी महाराज का प्रमाण देखिए—-
सकल कामना हीन जे राम भगति रस लीन।
नाम सप्रेम पियूष ह्रद तिन्हहु किये मन मीन।।
यह स्थिति सब साधकों की हो सकती है, किन्तु नित्य निरन्तर नाम जप करने पर ही,अन्यथा नहीं।भगवद्दर्शन तो इसका सुमधुर सुनिश्चित फल है।
बड़े से बड़े शुभकर्म में भी इतनी सामर्थ्य नहीं कि वह हमें प्रभु की प्राप्ति करा सके। प्रभु की प्राप्ति कराने में उनका नाम ही समर्थ है। जिनको भी हम महापुरुष मानते हैं ऐसे किसी भी सन्त से अगर उनके हृदय की बात पूछो तो वे एकमात्र नाम जपने को कहते हैं क्योंकि उनका काम भी नाम से ही बना है। इसलिए सबका सार है निरन्तर नामजप करना।
और कोई साधन बने तो ठीक है, न बने तो आवश्यक नहीं है। एकमात्र नाम जप से ही सब काम बन जायेगा। नाम जप करोगे तो इष्ट की सेवा हो जाएगी। नामजप करोगे तो जहाँ आप सोच भी नही सकते हो उस प्रेम देश में आपका प्रवेश हो जाएगा। जब तक नामजप नहीं होगा तब तक इस माया पर विजय प्राप्त नहीं होगी औऱ यदि नामजप हो रहा है तो डरने की जरूरत नहीं है। वह नाम अपने प्रभाव से समस्त वासनाओं को नष्ट कर देगा।
आप निरन्तर नामजप में लगे रहिए। जब नाम का प्रभाव हृदय में उदय होगा तब आपको ऐसा बल ऐसा ज्ञान मिलेगा कि आप माया में फँसेंगे ही नहीं।अतः आप एक एक क्षण नामजप में लगावें , सब शास्त्रों एवं समस्त सिद्धान्तों की यह सार बात है।
श्रीराधे🙏