यही वह महाँन मंत्र है!
जिसका जप करके बालक ध्रुव ने सच्चिदानन्द ब्रह्म को दर्शन देने पर विवश कर दिया!
यह कथा बहुत महाँन है! बहुत ही सुन्दर सुन्दर संकेत छिपे हैं इसमें भक्ति और ज्ञान विज्ञान का!
के यदि मनुष्य दृढ़ सकंल्पित है तो उसके लिए आजभी सृष्टि में अनेकों उच्च स्थान रिक्त हैं,जिन्हें भगवत कृपा से वह प्राप्त कर सकता है!
किन्तु मनुष्य का मन अपने ही द्वारा निर्मित, मिथ्या संसार के सत्य से इतना ओतप्रोत हो गया है!
के वह सांसारिक सुख समृद्धी आदि से परे सृष्टि कल्याण आदि वाले परमार्थिक कर्मों की ओर कभी उन्मुख ही नहीं होता!
जिससे ध्रूव के बाद आजतक कोई ध्रुव नहीं बन सका!
क्योंकि हम सबने अपने घरों का वातावरण ही एैसा बना रखा है के कोई भी पारमार्थिक चर्चा तो करना ही नहीं चाहता!
ना ही परमार्थ के विषय में किसी को कुछ रुचि ही है….ऊँ
जबकि
OM NAMAH SRI VASUDEVAYA!
That is the great mantra!
By chanting which child Dhruv forced Sachchidanand Brahma to give him darshan!
This story is great! Very beautiful signs of devotion and knowledge are hidden in it!
If a man is determined, then even today many high places are vacant for him in the universe, which he can achieve by the grace of God!
But man’s mind has become so saturated with the truth of his own created, false world!
That he never gets oriented towards the spiritual deeds which are beyond worldly happiness, prosperity etc.
Due to which no pole could be made till date after the pole!
Because we all have made the atmosphere of our homes such that no one wants to have a spiritual discussion at all!
Nor does anyone have any interest in the subject of charity….
Whereas