बुद्ध ने कहा मेरी मूर्तियां मत बनाना… मनुष्य ने अगर उनकी मूर्तियां न बनाई होती तो बड़ी भूल हो जाती.
बुद्ध ने कहा मेरी पूजा मत करना… यदि हमने बुद्ध की पूजा न की होती तो हमसे बड़ी चूक हो जाती.
भगवान बुद्ध ने कहा मेरे वचनों को मत पकड़ना, जो कहा उसे जीवन में उतारना… यदि बुद्ध के वचनों को लिख न लिया होता तो मनुष्य जाति हमेशा के लिए कंगाल रह जाती.
जिन्होंने बुद्ध की मूर्तियां बनाई. वे ध्यान, प्रेम, करुणा और श्रद्धा से भरे हुए थे उन्हें लगा कि बुद्ध के चरण चिन्ह कहीं खो ना जाए. वे चाहते थे कि बुद्ध के चरण चिन्हों की छाया अनंत काल तक बनी रहे. और ऐसा ही हुआ. विरोधियों के कारण भारत में बुद्ध के चरण चिन्ह सैकड़ों साल तक जमीन में दफन कर दिए गए. आज खुदाई में तथागत के जीवन के एक-एक दिन की घटना के प्रमाण मिल रहे हैं. आज फिर से वचन गूंज रहे हैं.
उन्होंने बुद्ध की आज्ञा तोड़ कर भी बुद्ध की आज्ञा ही मानी. भगवान ने कहा मेरी मूर्ति मत बनाना, मेरी पूजा मत करना लेकिन सच तो यह है बुद्ध ही मूर्ति बनाने की योग्य है, बुद्ध ही पूजा के योग्य है.
तथागत बुद्ध की मूर्तियां बनी तो ऐसे बनी कि सारा संसार भर गया. अद्भुत मूर्तियां बनी. यदि मूर्तियों को कोई गौर से देखें तो सारा संसार समझ में आता है. सत्य का मार्ग दिखाई देता है. मनुष्य के भीतर के सारे ताले खुल जाते हैं. बुद्ध पत्थर जैसे कठोर हैं और फूल जैसे कोमल और शीतल.
इतिहास में ऐसा कोई युगपुरुष नहीं हुआ जिन्होंने कहा मेरे शब्दों को आग में जला देना. शास्त्रों में मत पड़ना. ध्यान और आचरण को उतारना, समझना.
यदि बुद्ध के वचनों को लिखा न होता तो पूरे संसार में नहीं फैल पाते. कई नालंदा जलाने के बाद कुछ नहीं बचता. लेकिन अन्य धम्म देशों में ये ग्रंथ बचकर जिंदा रहे. उसी का परिणाम है कि ढाई हजार साल बाद बुद्ध फिर से इस धरा पर लौट आए हैं. जिन्होंने भगवान के वचनों को संभाल कर रखा, उन्होंने ही बुद्ध को समझा.
वंदन है, नमन है उन्हें जिन्होंने बुद्ध की आज्ञा तोड़कर उनकी मूर्तियां बनाई, उनकी पूजा की. तथागत के वचनों को याद रखकर, संकलित कर, लिखकर, संजोकर हजारों साल तक संभाल कर रखा.
ऐसा नहीं होता तो खोए हुए बुद्ध फिर से नहीं मिल पाते. आज मानव जगत ध्यान, प्रेम, करुणा, मैत्री एवं मानव कल्याण के मार्ग से वंचित रह जाता. यह जगत दरिद्र रह जाता.
भवतु सब्बं मंगलं. सभी प्राणी सुखी हो