कृष्ण के जन्म से उनकी लीला संवरण तक हर घटना अपने आप में गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए है, जो हमें भी यह विश्वास दिलाती है कि हर घटना एक दूजे से जुड़ी है और निर्धारित क्रम में उसका होना पूर्व निर्धारित है
जन्म के बाद कई भयानक राक्षकों का वध मानवीय वृत्तियों के मान मर्दन का पर्याय है, यहां कृष्ण इन्द्रियों के दमन की वकालत करते हुए योगी हैं
इंद्र की पूजा का विरोध कर्मकांड का विरोध है, गोवर्धन की पूजा प्रकृति के संरक्षण का प्रत्यक्ष प्रयास है
जब वे मथुरा भेजे जाने वाले दूध का विरोध कर ग्वाल बाल पर उसके अधिकार की बात करते हैं, तो वे गरीबी, कुपोषण के उन्मूलन और अन्याय का विरोध करने वाले समाज सुधारक हैं
नाम हरि का जप ले बन्दे, फिर पीछे पछतायेगा
अपने अपने गुरुदेव की जय
श्री कृष्णाय समर्पणं
आध्यात्मिक विचार
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