भगवान्‌का भरोसा

chiang temple thailand

पहले समयकी बात है। एक धनी नवयुवक राजपथपर टहल रहा था। उसने रोने और सिसकनेकी आवाज सुनी और वह एक घरके सामने ठहर गया। ‘पिताजी! हमलोगोंको कबतक इस तरह भूखोंमरना होगा। चलिये न, बाजारमें भीख माँगकर हमलोग ‘जीवनका निर्वाह करें।’ लड़कीने सिसकी भरकर कहा । ‘बेटी ! यह सच है कि हमलोगोंका सारा धन चला गया। हमारे पास एक पैसा भी नहीं रह गया है।दरिद्रताके रूपमें हमारे घरपर भगवान्‌की कृपाका अवतरण हुआ है। भगवान्पर भरोसा रखना चाहिये; वे हमारी आवश्यकताएँ पूरी करेंगे।’ पिताने अपनी तीनों लड़कियोंको समझाया।

बाहर खिड़कीके पास खड़ा होकर धनी नवयुवक उनकी बातें सुन रहा था। वह घर गया। उसके खजाने में सोनेके तीन बड़े-बड़े छड़ थे। रातको उसने एक छड़ खिड़कीके रास्तेसे गरीब आदमीके घरमें छोड़ दिया। पिता और लड़कियोंने भगवान्‌को धन्यवाद दिया कि उनकी प्रार्थनाएँ सुन ली गयीं। दूसरे दिन रातको उसने दूसरा छड़ छोड़ दिया। तीसरी रातको तीसरा छड़फेंकनेवाला ही था कि उस असहाय और गरीब व्यक्तिने देख लिया। वह नवयुवकके चरणपर गिर पड़ा इस अयाचित सहायताके लिये ।

‘भाई ! तुम यह क्या कर रहे हो? तुम्हें तीन छड़ भगवान् की कृपासे ही मिले हैं। भगवान्‌को ही धन्यवाद देना चाहिये। यदि मुझे तुम्हारे घरतक उन्होंने परसों रातको न भेजा होता तो मैं इन्हें किस तरह प्रदान करता।’ (संत) निकोलसने गरीब आदमीका प्रेमालिङ्गन किया। निकोलसके श्रेष्ठ दानसे भगवान्‌में उनका विश्वास उत्तरोत्तर दृढ़ होता गया।

– रा0 श्री0

First it is a matter of time. A rich young man was walking on the highway. He heard crying and sobbing and stopped in front of a house. ‘Father! How long will we have to starve like this? Come on, let’s ‘make a living’ by begging in the market. The girl said with a sob. ‘daughter ! It is true that we lost all our money. We do not have even a penny left. God’s grace has descended on our house in the form of poverty. One should have faith in God; He will fulfill our needs.’ The father explained to his three daughters.
Standing outside by the window, the rich young man was listening to them. He went home. There were three big gold bars in his treasury. At night he left a rod in the poor man’s house through the window. The father and the girls thanked God that their prayers had been answered. On the second day at night he left the second stick. On the third night, it was the third tosser that the helpless and poor man saw. He fell at the feet of the young man for this unsolicited help.
‘Brother ! what are you doing You have got three rods only by the grace of God. Only God should be thanked. If he had not sent me to your house the night before, how would I have provided him.’ (Saint) Nicholas courted the poor man. His faith in God grew stronger and stronger because of Nicholas’s superior charity.

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