जिन्दगीकी रफ्तारमें एक सबक
तेजी से दौड़ती कारपर एक ईंट आकर लगी। कार सवारने गाड़ी रोकी और देखा एक बच्चा उसीकी ओर आ रहा है। कार सवारके पूछनेपर उसने कहा-‘यह ईंट मैंने ही मारी थी। दरअसल, अगले मोड़पर मेरा विकलांग भाई व्हील चेयरसे गिरकर सड़कपर पड़ा है। आप उस ओर इतनी तेजीसे जा रहे थे कि मेरी पुकार आपने सुनी ही नहीं, तब ईंट फेंककर मारनेके सिवा मेरे पास और कोई उपाय नहीं था।
कार- सवारने आगे जाकर मदद की और उसके भाईको उठाया।
कभी-कभी शायद हम भी जिन्दगीमें इतना तेज दौड़ते हैं कि भगवान्के इशारोंको अनदेखा कर देते हैं और तब भगवान्को मजबूरन एक जोरदार प्रहार करके हमको रोकना पड़ता है।
ठहरिये ! थोड़ा सोचिये।
a lesson in the pace of life
A brick hit the fast running car. The car rider stopped the car and saw a child coming towards him. On being asked by the car rider, he said – ‘I had thrown this brick. In fact, at the next turn, my handicapped brother is lying on the road after falling from the wheel chair. You were going that way so fast that you didn’t even hear my call, then I had no other option but to kill you by throwing a brick.
The car-rider went ahead and helped and picked up his brother.
Sometimes perhaps we also run so fast in life that we ignore the instructions of God and then God has to stop us by forcefully hitting us.
Wait! Think a little