सन्त-स्वभाव
एक वाटिकाके कोनेमें आमका विशाल छायादार वृक्ष खड़ा था। उसके नीचे ध्यानमग्न एक सन्त बैठे थे। गाँव के कुछ खेल-खेलमें उस वृक्षपर पके हुए आम देखे, उन्होंने उन फलोंको तोड़नेकी योजना बनायी, इसके अन्तर्गत कुछ पत्थर एकत्रित किये। एक बालकने फलपर निशाना साधकर पत्थर फेंका, उसके प्रहारसे एक आम पृथ्वीपर आ गिरा। इससे उत्साहित होकर एक अन्य बालकने पेड़की तरफ पत्थर फेंका, परंतु वह पत्थर पेड़के तनेसे टकराकर नीचे बैठे सन्तके माथेपर लगा, परिणामस्वरूप माथेसे खूनकी धारा बह निकली। ऐसा देख बागके मालियोंने उन बालकोंको पकड़कर सन्तके सामने लाकर खड़ा कर दिया। वे कहने लगे ‘महाराज ! इन्हींके पत्थरसे आपको यह चोट लगी है।’ उन बालकोंको देख सन्तकी आँखोंमें आँसू भर आये। बच्चोंने भयसे काँपते हुए कहा- ‘हे सन्त बाबा ! हम आपके कष्टका अनुभव कर रहे हैं; आपकी आँखोंमें आँसू देख हमें अपार दुःख हो रहा है।’ सन्तने कहा ‘मेरे प्रिय बच्चो ! जैसा तुम समझ रहे हो, वैसी बात नहीं है। यथार्थ तो यह है कि आमके पेड़को तुमने पत्थर मारा, बदले में उसने तुम्हें एक स्वादिष्ट फल दिया और मुझे पत्थर मारा तो तुम्हें देनेके लिये मेरे पास कुछ भी नहीं है, केवल यही सोचकर मेरी आँखोंमें आँसू आ गये।’
सन्तके मुखसे ऐसे करुणाभरे वचन सुनकर वे बालक और माली उनके चरणोंमें नमन करते हुए कहने लगे- ‘महात्मन्! आप ऐसा मत सोचिये, आपके पास तो ऐसा अमूल्य रत्न है, जो कुमार्गपर चलनेवालेको सन्मार्गपर चलनेकी प्रेरणा देता है और वह है आपकाआशीर्वाद ।’ सन्तने बच्चोंकी बातका सम्मान करते हुए आशीर्वचनके रूपमें कहा-‘चोरी करना पाप है, वृक्षपर किसी भी प्रकारसे प्रहार करना हिंसा है, इन बुराइयोंका त्याग कर दो, तुम्हारे जीवनमें सदा खुशियोंकी बहार छायी रहेगी। उन बालकोंने सन्तको नमन करते । उनके बताये मार्गपर चलते रहनेका वचन दिया औ अपने-अपने घरकी ओर चले गये।
saintly nature
A huge shady mango tree stood in the corner of a garden. A saint was sitting under it meditating. While playing some games in the village, they saw ripe mangoes on that tree, they planned to pluck those fruits, collecting some stones under it. A boy threw a stone aiming at the fruit, and a mango fell on the ground due to its impact. Excited by this, another boy threw a stone towards the tree, but the stone collided with the trunk of the tree and hit the forehead of the saint sitting below, as a result of which a stream of blood flowed from the forehead. Seeing this, the gardeners caught those children and made them stand in front of the saint. They started saying ‘ Maharaj! You got hurt by his stone.’ Seeing those children, tears welled up in the eyes of the saint. Trembling with fear, the children said – ‘O Saint Baba! We feel your pain; Seeing tears in your eyes, we are feeling immense sorrow.’ The saint said, ‘My dear children! It is not as you are thinking. The reality is that you stoned the mango tree, it gave you a delicious fruit in return and if you stoned me, I have nothing to give you, just thinking this brought tears to my eyes.’
Hearing such compassionate words from the mouth of the saint, the child and the gardener bowed down at his feet and said – ‘ Mahatman! Don’t think like this, you have such a priceless gem, which inspires those who walk on the wrong path to walk on the right path and that is your blessings.’ Respecting the words of the children, the saint said in the form of a blessing – ‘Stealing is a sin, hitting a tree in any way is violence, leave these evils, happiness will always prevail in your life. Those children used to bow down to the saint. They promised to follow the path shown by them and went towards their respective homes.