गौरांग चैतन्य महाप्रभु (Chaitnaya Mahaprabhu)

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हरि बोल हरि बोल नदी पर कपड़े धोते हुए धोबी ने कहा, बाबा आगे जाओ हरि बोल हरि बोल बाबा कह तो दिया आगे जाओ मेरे पास तुम्हे देने को कुछ भी नही है । हरि बोल हरि बोल अब धोबी गुस्से से भर उठा मैने कहा न मै बहुत गरीब आदमी हु । कपड़े धोकर किसी तरह गुजारा करता हुँ । मैं कहा से भिक्षा दू ?

अब साधू बाबा ने कहा मै तुमसे कुछ नही मांगता | बस केवल यह चाहता हू कि तुम हर काम करते समय बस केवल एक ही मंत्र जपो एक ही धुन निकालो ‘हरि बोल ‘।

जाने क्या हुआ ? धोबी सिर से पैर तक कॉप उठा और तुरंत साधू बाबा के चरणों मॅ गिर कर क्षमा मांगने लगा । साधु बाबा ने उसे उठाते हुए कहा “बेटा ! कहो हरि बोल तुम्हारा कल्याण होगा”|

अब तो धोबी हाथ ऊपर करके चिल्लाने लगा हरि बोल,हरि बोल वह बोलता जाता और नाचते हुए उसी धुन को रटता ‘हरि बोल ,हरि बोल’ |

तभी उसकी पत्नी भी वहा पर उसके लिये भोजन लेकर आ गयी | उसने सोचा कि उसके पति के शरीर में भूत ने प्रवेश कर लिया है । वह उल्टे पैर गाव मै दौडी गई और चिल्ला-चिल्ला कर कहने लगी ‘बचाओ ! बचाओ मेरे पति को किसी भूत ने घेर लिया है| ” जब लोग उसे देखने के लिये घाट पर पहुचे तो देखते क्या है कि धोबी भक्ति में मस्त होकर नाच रहा है”।

सबने उन्हे रोकना चाहा लेकिन यह क्या वह भी उनके साथ हरि बोल, हरि बोल कहकर नाचने लगे और देखते ही देखते सभी लोग हरि के प्रेम में आत्म विभोर होकर नाचने गाने लगे।।। ऐसे थे महाप्रभु

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