नए साल शुरु की शुरुआत के साथ त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है। साल के पहले महीने में लोहड़ी और मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाता है। अबकी बार 14 जनवरी को शाम से मुहूर्त होने के कारण 15 जनवरी को देशभर में मकर संक्रांति मनाई जा रही है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार माना जाता है कि मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना का व्रत माना जाता है। इस पावन दिन के लिए हमारे समाज में अन्य कथाएं प्रचलित हैं जिनके अनुसार इसे ज्ञान की उत्पत्ति का दिन माना जाता है। भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु को आत्मज्ञान दिया था। इसी के साथ महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामाह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का ही चुनाव किया था। एक अन्य कथा के अनुसार माना जात है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। इसी कारण से आज के दिन गंगा स्नान और तीर्थ स्थलों पर विशेष स्नान और दान का महत्व माना जाता है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं, क्योंकि मकर राशि का स्वामी शनि को माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार माना जाता है कि सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं है, इस दिन को पिता-पुत्र के रिश्ते में निकटता के रुप में देखा जाता है। मकर संक्रांति के दिन के भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होनें सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इस दिन को नकारात्मकता पर सकारात्मकता की जीत का उत्सव भी माना जाता है।
*पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि इस दिन देव भी धरती पर अवतरित होते हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से गोचर करता हुआ मकर राशि में आता है, इसके बाद से दिन बड़े होने शुरु हो जाते हैं और अंधकार का नाश होता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खिचड़ी दान करने की परंपरा भी मानी जाती है।
With the beginning of the new year, a series of festivals begins. The holy festivals of Lohri and Makar Sankranti are celebrated in the first month of the year. This time, Makar Sankranti is being celebrated across the country on 15 January due to the auspicious time falling in the evening of 14 January. According to the scriptures and Puranas, it is believed that the festival of Makar Sankranti is considered a fast of worshiping Brahma, Vishnu, Mahesh, Ganesha, Adyashakti and Surya. There are other stories prevalent in our society about this holy day, according to which it is considered the day of origin of knowledge. Lord Ashutosh gave enlightenment to Lord Vishnu on this day. Along with this, according to the story of Mahabharata, Bhishma Pitamah had chosen the day of Makar Sankranti to sacrifice his body. According to another story, it is believed that on the day of Makar Sankranti, Ganga ji followed Bhagiratha and entered the ocean through Kapil Muni’s ashram. For this reason, bathing in Ganga and special bathing and donation at pilgrimage sites is considered important today. On the day of Makar Sankranti, Sun goes to the house of his son Saturn for a month, because Saturn is considered the lord of Capricorn. According to astrology, it is believed that coordination of Sun and Saturn is not possible, this day is seen as closeness in the relationship between father and son. On the day of Makar Sankranti, Lord Vishnu had announced the end of the war by destroying the demons. He buried the heads of all the demons in Mount Mandar. This day is also considered to be the celebration of the victory of positivity over negativity. *According to mythological beliefs, it is believed that on this day gods also descend on earth and the soul attains salvation. On the day of Makar Sankranti, the Sun transits from Sagittarius to Capricorn, after this the days start getting longer and darkness is destroyed. On this day, virtue, charity, chanting and religious rituals are considered important. On this day, Khichdi is offered to God. In many places, on this day, the tradition of donating Khichdi for the peace of the souls of dead ancestors is also considered.