घर से आते वक्त मां का बस चले तो खाने का सारा सामान बैग में रख दे..
उन्हें लगता है की उनका बच्चा कितना भी बड़ा हो जाए खुद से खाना बना कर नही खाता होगा..और एक हद तक सही लगता हैं
उम्र के एक पड़ाव तक आते आते हमे ये समझ आ गया है मां बाप के अलावा कोई भी रिश्ता बिना स्वार्थ के नही चलता.. हां प्रेमी प्रेमिका वाला भी नहीं।
हम नब्बे के दशक के बच्चे हैं, हमारी माएं भी वैसी है।
अब कहां मिलेगी ऐसी मासूम माएं जो हल्की सी चोट से लेकर खून बह जाने तक का घरेलू उपाय किचन से खोज लाती हो।
मूवी में इमोशनल सीन देख कर रो देने वाली मां बच्चे की चोट पर पट्टी कर देने का साहस रखती है।
मेरी मां तो ऐसी ही है नौकरी करती है,घर चलाती है डांटती ,गुस्सा करती है, बचपन में मरती भी थी, प्यार- दुलार- पुचकार, वात्सल्य के सारे रूप दिखाती है मेरी मां।
घर से दूर आने पर समझ आया है कि रात में देर तक काम करते रहने पर मां साथ में क्यूं जगा करती थी. एग्जाम हमारा होता था सुबह नहा धो कर पूजा वो कर आती थी
रिजल्ट अच्छा आ जाने पर कसकर चिपका कर रोती थी,
खराब आने पर सर सहला के सुलाती थी
समय की सबसे खराब बात यही है की इसी के साथ मां की उमर बढ़ने लगी है. उनके हाथों पर उभरती नसें, एड़ी पर दिखती हुई फटी लकीरें, सीढ़ी पर चढ़ते हुए घुटने पर हाथ फेरना और मिलने पर गले लगा कर ये कहना की एक दिन तुझे विदा कर के ये बुढ़िया अकेले रह जाएगी
ये सब मुझे अंदर से मार देता है..
लोग कहते है तू इतनी इमोशनल क्यूं है..अब समझ आता है..प्यार और दुलार ,संस्कार और वात्सल्य से परिपूर्ण मां ने पाला है मुझे।
हां बाहर की दुनिया बहुत स्वार्थी और निर्दयी भी है
कभी कभी जब मुझे रात भर नींद नही आती किसी परेशानी की वजह से तो सुबह मां फोन पर बोलती है आज सपने में तू आई थी.. तू ठीक तो है न बच्चा?
कोई कैसे रोके अपने आंसू ऐसी मां के सामने?
मेरे जो भी छोटे भाई बहन है..
सबसे बस एक बात अगर मजबूरी ना हो तो या तो मां के साथ रहिए या जहां आप है वहा मां को साथ रखिए..
बच्चों से दूर रहने पर मां बाप जल्दी बूढ़े होते हैं..
आज का दिन आने वाला हर एक दिन मां के लिए..❣️🫂
While coming from home, if mother’s bus leaves, keep all the food items in the bag.
They think that no matter how big their child becomes, they will not be able to cook and eat by themselves..and they are right to an extent.
Coming to a stage of age, we have come to understand that apart from the parents, no relation runs without selfishness.. Yes, not even the lover and girlfriend.
We are the children of the nineties, so are our mothers. Now where will you find such innocent mothers who find home remedies from the kitchen for minor injuries to bleeding.
A mother who cries after watching an emotional scene in a movie has the courage to bandage her child’s wound. My mother is like this, she works, runs the house, scolds, gets angry, used to die in childhood, my mother shows all forms of love, caress, affection.
After coming away from home, I understood why my mother used to wake me up with me after working till late in the night. Exam used to be ours, she used to do puja in the morning after taking bath. When the result was good, she used to cry tightly, Used to put me to sleep when I felt bad
The worst thing about the time is that with this the age of the mother has started increasing. Emerging veins on her hands, visible torn lines on her heels, climbing the ladder, patting her knees and hugging her and saying that one day this old woman will be left alone after saying goodbye to you. This all kills me from inside..
People say why are you so emotional..Now I understand..I have been brought up by my mother full of love and caress, culture and affection. yes the outside world is very selfish and cruel too
Sometimes when I can’t sleep the whole night because of some problem, my mother calls me on the phone in the morning, today you came in my dream.
How can anyone hold back his tears in front of such a mother? All my younger siblings.. Just one thing, if there is no compulsion, either stay with your mother or keep your mother with you wherever you are. Parents grow old quickly when they are away from their children.
Today is the day to come every single day for mother..❣️🫂