वैसाख पूर्णिमा को बुद्ध जयंती और कूर्म जयंती है।


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कूर्म मंत्र ।
ॐ कूर्माय नम:
ॐ हां ग्रीं कूर्मासने बाधाम नाशय नाशय
ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाय नम:

कूर्म जयंती का महत्व-
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कूर्म जयंती हिंदू धर्म का एक बहुत ही शुभ त्योहार है।यह दिन भगवान श्री हरि विष्णु के दूसरे अवतार – कूर्म के लिए मनाया जाता है। इस दिन पूरे भारत में भगवान विष्णु की मूर्तियों की पूजा की जाती है और आशीर्वाद प्राप्त करने और खुशहाल व समृद्ध जीवन जीने के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

कूर्म जयंती हिंदुओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

कूर्म जयंती इसलिए मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने खुद को एक कछुए के रूप में प्रकट किया था, जिसे संस्कृत भाषा में “कूर्म” के रूप में जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर या “पंचांग” के अनुसार, “वैशाख” के महीने के पूर्णिमा को कूर्म जयंती मनाई जाती है।

पवित्र ग्रंथ “भागवत पुराण” के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि मंदराचल पर्वत को सहारा देने के लिए भगवान विष्णु ने “क्षीर सागर मंथन” के दौरान यह अवतार लिया, और इस दिन की याद में लोगों ने कूर्म जयंती मनाना शुरू कर दिया। जैसा कि यह अवतार एक कछुए के रूप में है, ऐसे में माना जाता है कि इस दिन निर्माण कार्य शुरू करना या “वास्तु” के अनुसार एक नए घर में स्थानांतरित करना बहुत भाग्यशाली है। तो, यह है कूर्म जयंती की कहानी।

इस साल वैशाख पूर्णिमा बहुत खास है क्योंकि इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग रहा है, लेकिन ये ग्रहण उपछाया होने की वजह से इसकी धार्मिक मान्यता नहीं रहेगी. वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के कूर्म और बुद्ध अवतार की पूजा का विधान है।

इस दिन बुद्ध जयंती और बुद्ध पूर्णिमा
के नाम से भी जाना जाता है।
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स्नान-दान, लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा के लिए ये दिन बहुत पवित्र और शुभफलदायी माना गया है. मान्यता है कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा की छाया में रहने से आरोग्य की प्राप्ति होती है।

बुद्ध पूर्णिमा पर सिद्धि योग में किए गए पुण्य कार्य का फल अगले जन्म में भी व्यक्ति को मिलता है। वहीं संयोग से बुद्ध पूर्णिमा पर 👉स्वाति नक्षत्र भी है। स्वाति नक्षत्र सभी नक्षत्रों में विशेष माना जाता है। इस नक्षत्र में किए गए कार्यो का विशेष फल व्यक्ति को मिलता है। इस नक्षत्र में आकाश से समुद्र में गिरने वाली बूंदों का ही मोती बनता है। साथ ही इस दिन शुक्रवार होने से इस इसका कई गुना फल प्राप्त होगा, क्योंकि शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी के निमित्त पूजा पाठ करने, दीपक जलाने या महालक्ष्मी अनुष्ठान करने से महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहेगी।|| विष्णु भगवान की जय हो || ✍☘💕



** The Tortoise Mantra. OM KOORMAAYA NAMAH: Om Haa Grim Destroy the obstacle in the seat of the tortoise Om Aam Hrim Kron Kurmasanaya Namah:

Significance of Kurma Jayanti- , Kurma Jayanti is a very auspicious festival of Hinduism. This day is celebrated for the second incarnation of Lord Shri Hari Vishnu – Kurma. On this day idols of Lord Vishnu are worshiped all over India and special programs are organized to seek blessings and lead a happy and prosperous life.

Why is Kurma Jayanti important for Hindus? Kurma Jayanti is celebrated because on this day Lord Vishnu manifested himself in the form of a tortoise, which is known as “Kurma” in Sanskrit language. According to the Hindu calendar or “Panchang”, Kurma Jayanti is celebrated on the full moon day of the month of “Vaisakh”.

According to the sacred text “Bhagavata Purana”, it is believed that Lord Vishnu took this incarnation during the “Ksheer Sagar Manthan” to support the Mandarachal mountain, and in memory of this day people started celebrating Kurma Jayanti. As this avatar is in the form of a tortoise, it is believed to be very lucky to start construction work on this day or to shift to a new house as per “Vastu”. So, this is the story of Kurma Jayanti.

This year Vaishakh Purnima is very special because on this day the first lunar eclipse of the year is also taking place, but due to the shadow of this eclipse, it will not have religious recognition. There is a ritual of worshiping Lord Vishnu’s Kurma and Buddha Avatar on Vaishakh Purnima.

Buddha Jayanti and Buddha Purnima on this day Also known as. , This day is considered very auspicious and auspicious for bathing, donating, worshiping Lakshmi and Shri Krishna. It is believed that staying in the shadow of the moon on the night of full moon brings health.

A person gets the fruits of the virtuous work done in Siddhi Yoga on Buddha Purnima in the next life as well. Coincidentally there is also Swati Nakshatra on Buddha Purnima. Swati Nakshatra is considered special among all the constellations. The person gets the special fruit of the work done in this constellation. In this Nakshatra, only drops falling from the sky into the ocean make pearls. At the same time, since this day is a Friday, it will get manifold results, because on Friday, Mahalakshmi’s grace will always be there by reciting prayers, lighting lamps or performing Mahalakshmi rituals for Mahalakshmi.|| Hail Lord Vishnu ||

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