प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का निवास है।

।। जय श्रीराम जय जय हनुमान ।।

प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का निवास है। इस घट-घट वासी परमात्मा का जो दर्शन कर सके समझना चाहिए कि उसे ईश्वर का साक्षात्कार हो चुका।

प्राणियों की सेवा करने से बढ़कर दूसरी ईश्वर भक्ति हो नहीं सकती। कल्पना के आधार पर धारणा-ध्यान द्वारा प्रभु को प्राप्त करने की अपेक्षा सेवा-धर्म अपना कर इसे साकार ब्रह्म-अखिल विश्व को सुन्दर बनाने के लिए संलग्न रहना- साधना का श्रेष्ठतम मार्ग है।

अमुक भजन ध्यान से केवल ईश्वर को ही प्रसन्नता हुई या नहीं? इसमें सन्देह हो सकता है, पर दूसरों को सुखी एवं समुन्नत बनाने के लिए जिसने कुछ किया है उसे आत्म-सन्तोष, सहायता द्वारा सुखी हुए जीवों का आशीर्वाद और परमात्मा का अनुग्रह मिलना सुनिश्चित है।

प्रेम से बढ़कर इस विश्व में और कुछ भी आनन्दमय नहीं है। जिस व्यक्ति या वस्तु को हम प्रेम करते हैं वह हमें अतीव सुन्दर प्रतीत होने लगती है। इस समस्त विश्व को परमात्मा का साकार मान कर उसे अधिक सुन्दर बनाने के लिए यदि उदार बुद्धि से लोक मंगल के कार्यों में निरत रहा जावे तो यह ईश्वर के प्रति तथा उसकी पुण्य वृत्तियों के प्रति प्रेम प्रदर्शन करने का एक उत्तम मार्ग होगा।

इस प्रकार की हुई ईश्वर उपासना कभी भी व्यर्थ नहीं जाती। इसकी सार्थकता के प्रमाणस्वरूप तत्काल आत्मसन्तोष मिलता है। श्रेय की भावनाओं से ओत-प्रोत उदार हृदय ही स्वर्ग है। जिसे स्वर्ग अभीष्ट हो उसे अपना अन्तःकरण प्रेम और सेवा धर्म से परिपूर्ण बना लेना चाहिए। ।। श्रीहनुमते नमः ।।



, Jai Shri Ram Jai Jai Hanuman.

God resides in every living being. Anyone who can see God, who resides in this small place, should understand that he has experienced God.

There can be no greater devotion to God than serving living beings. Instead of attaining God through dharna-meditation on the basis of imagination, adopting the religion of service and being engaged in making this corporeal Brahman – the entire world beautiful – is the best path of sadhana.

Was only God pleased by meditating on a particular hymn or not? There may be doubt in this, but the one who has done something to make others happy and prosperous is sure to get self-satisfaction, blessings of the beings made happy by his help and the grace of God.

There is nothing more joyful in this world than love. The person or thing we love begins to appear very beautiful to us. Considering this entire world to be the embodiment of God and making it more beautiful, if one remains engaged in works for the welfare of the people with a generous mind, then it will be a great way to show love towards God and His virtuous activities.

This type of worship of God never goes in vain. One gets instant self-satisfaction as proof of its significance. A generous heart filled with feelings of credit is heaven. One who desires heaven should make his conscience full of love and service. , Shri Hanumate Namah.

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *