प्रभु संकीर्तन 47

यह जीवन की सच्चाई है। एक दिन भी हम थोड़े कमजोर हो जाते हैं। तब घर वाले सबसे पहले दुत्कारते है। जिसके साथ भगवान् खङा होता है। असली जीवन का आनंद प्राप्त करता है। भगवान् जिसके अन्दर बैठे होते हैं। उसके लिए हर ठोकर वरदान बन जाती है। क्योंकि उसके पास अध्यात्मिक तराजू होती है। भक्त हर चीज हर कठिनाई को हर सुख को अध्यात्मिक तराजू से तोलता है। अध्यात्म कहता है बाहर की ठोकर प्रभु के द्वार तक पहुंचाती हैं भक्त आनंद विभोर होता है। जय श्री राम
अनीता गर्ग

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