चेतना जागृत

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भगवान् कहते हैं कि तु मुझे पत्थर की मूर्ति में ढुढेगा तो तेरा दिल पत्थर जैसा कठोर बन जाएगा जङ में ढुढेगा तो मैं तुझे जङ बना दुगां।

तु मुझे चेतन में ढुढेगा तो तेरे ह्दय में चेतना जागृत कर दुगां। चेतना के जागृत होते ही तेरी दृष्टि बदल जाएगी। प्रभु प्रेम की उत्पत्ति अन्तर ह्दय में जागृत होगी।

तुझे अन्य किसी से बात करने की आवश्यकता नहीं रहेगी। परमात्मा स्वयं तुझसे बात करने के लिए तेरे सामने खड़ा होगा। तु उसको निहारेगी वो तुझको निहारेगा। मन ही मन में हजारों बातें होगी। तन मन की सुध भुल जाएगी। दिल थामे नहीं थमेगा। हर प्राणी में तुझे मैं ही मै दिखाई दुगां। दिल की हर धङकन पर मेरा नाम लिख देगी।
अनीता गर्ग

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