
सृजन फिर से
बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त ख़ुशी मेरी॥ चिंता रहित खेलना-खाना

बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त ख़ुशी मेरी॥ चिंता रहित खेलना-खाना
पूर्वोत्तर की वंदना जहाँ उगता सूरज पहले, पर्वत चूमे नीला गगन, हरियाली की चादर ओढ़े, बहता शांति सरस सुमन। वो

मैं उम्र बताना नहीं चाहती हूँ, जब भी यह सवाल कोई पूछता है,मैं सोच में पड़ जाती हूँ, बात यह