
परमात्मा है
भगवान सबमें समाया हुआ है। भगवान को भजते हुए हम परमात्मा का प्रेम परमात्मा के आनंद रस से झुमते हैं।

भगवान सबमें समाया हुआ है। भगवान को भजते हुए हम परमात्मा का प्रेम परमात्मा के आनंद रस से झुमते हैं।

अधिकारी न होने पर इस विद्या का भेद खोलने से पाप लगता है।भगवान शिव कहते है। हे शिवे नैतज्ज्ञानं वरारोहे

प्रत्येक साधक की कुछ दिन ध्यान साधना करने के बाद यह जानने की इच्छा होती हैंकी मेरी कुछ आध्यात्मिक प्रगति

पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा । फिर पानी बह जाएगा और

बचपन में यह खेल हम सभी ने खेला होगा।और यदि नहीं तो आज ठाकुर जी के साथ सीख लों। बाल

एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनायें थीं। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो राजा को उसके

उस परमात्मा के हजार नामों में से एक नाम है ‘हरि’। जो पाप, दुःख हर लेता है, अपनी कृपा भर

कैकेयी वर्षों पुराने स्मृति कोष में चली गई उन्हें वह दिन याद आ गया जब वे राम और भरत को

नाम-स्वाँस दोउ विलग चलत हैं, इनकौ भेद न मोकौं भावै॥स्वाँसहि नाम नाम ही स्वाँसा, नाम स्वाँस कौ भेद मिटावै।बाहिर कछु

आहा ! प्रेम का स्वरूप अनिर्वचनीय है ये सूत्र अद्भुत है । प्रेम के विषय में जो भी बोलेगा कहेगा