
निराकार भाव में अध्यात्मवाद
साकार ही निराकार है और निराकार ही साकार है। एक मां का छोटा बच्चा है। बच्चे का मां लालन पालन
साकार ही निराकार है और निराकार ही साकार है। एक मां का छोटा बच्चा है। बच्चे का मां लालन पालन
यदि आप भगवान की खोज में निकलते है। तो गुरु की सरण मे जाओ यह प्रथम चरण है। दूसरे चरण
भगवान का नाम सिमरन करते हुए विनती और स्तुति करते हुए भगवान के भाव बनने लगते हैं भगवान का प्रेम
सब शिव है केवल कैलाशों के दर्शन करके ही ईश्वर नहीं मिल जाते हैं साहिब, सबसे पहले मन के कैलाश
ज्ञानी जब उस तत्व ज्ञान को पा लेता है तो उसकी ब्रह्माकार वृत्तिया हो जाती है उसको ऐसा लगता है
सारे संत महापुरुष एक ही संदेश देते है… वस्तु तेरे भीतर है… सब कुछ तेरे भीतर है… सब कुछ तुझसे
हम भगवान को भजते रहते हैं तब मालिक इस मन को सुधार देते है। भगवान का सिमरण ऐसी पुंजी है
जिसने दिल ही दिल में प्रभु प्राण नाथ से बात की है। अपने अन्तर्मन में लग्न का दिपक प्रज्वलित किया
भक्त के दिल में प्रेम भाव में वात्सल्य भाव है। भक्त भगवान को ऐसे समेट लेना चाहता है कि जैसे
मैं कई बार अपने मन से बात करते हुए कहती हूं कि अ मन देख तु चाहे कितना ही इधर