
अविनाशी परमात्मा परमेश्वर मैं ही हूँ
अविनाशी परमेश्वर तो कोई और ही है और वही तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है और वही

अविनाशी परमेश्वर तो कोई और ही है और वही तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है और वही

गुरुनानक देव जी ने कहा: मैं तो अपने विशाल जगन्नाथ जी की आरती में प्रत्येक क्षण सम्मिलित रहता हूँ। उसकी

एकबार किसी गांव में सत्संग करने के लिए बाबाकबीर जी और बाबा सूरदास जीदोनो गये शाम को सत्संग में दोनो

हो मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जाएँगे श्याम आएँगे। आज मेरा दिल इन पंक्तियों पर लिख रहा है। मुझे

मन कहता है, मुझे पूजा पाठ विधि से नही आता,पुस्तको में क्या लिखा है मुझे समझ नही आता,किन्तु मेरा मन

बाल्मीकि रामायण और तुलसीकृत रामायण में इस कथा का वर्णन नहीं है, पर तमिल भाषा में लिखी *महर्षि कम्बन की

कुछ समय हमें ठहरना आ जाए। जब हम ठहरने का अभ्यास करेंगे तब वह दिन दूर नहीं हमे भगवान से

प्रमात्मा तो!कल्पना ओर समय से,भी, परे का विषय है!! क्योकि!इस पूरी स्वप्न रूपी सुष्टि का,मालिक,स्वयंम प्रकाशित,अनन्त, अखंड ओर अजन्मा है!!

आज की पीढ़ी मानव जीवन के मुल्य को भुल गई है। वह शारीरिक जीवन को असली जीवन समझ बैठी है।

एक भक्त की जन्म से ही मन में ये इच्छा बन जाती है भगवान की पूजा आरती करनी है भगवान