*चरण स्पर्श का भाव*
एक भक्त का भगवान के चरण स्पर्श का भाव प्रकट करती हूँ।भक्त भगवान के चरणों में समर्पित है। कभी शिश
एक भक्त का भगवान के चरण स्पर्श का भाव प्रकट करती हूँ।भक्त भगवान के चरणों में समर्पित है। कभी शिश
दिल की आंखों से देख बिहारी जी कंहा नहीं है। बिहारी जी को जंहा पर बैठ कर पुकारो दिल के
कृष्ण हमारे माता पिता है, कृष्ण हमारे पति है कृष्ण ही पुत्र और पुत्री है, कृष्ण हमारे भगवान है कृष्ण
भक्त जितना भगवान के नजदीक होगा भक्त भगवान को बार बार मन ही मन प्रणाम करता है। भक्त का प्रणाम
नाम भगवान मे भक्त को किसी बात की चिंता नहीं रहती है भक्त भगवान को भजते हुए भगवान का बन
ध्यान में परमात्मा के चिन्तन के अलावा कुछ भी नहीं है। भगवान को हम शरीर रूप से भजते भगवान को
परमात्मा ने मनुष्य को बनाते हुए मानव के अन्दर सबकुछ दे कर पृथ्वी पर भेजा है। मनुष्य ने अपनी दृष्टि
भक्त भगवान का सिमरण करते हुए मन ही मन सोचता है। मुझे अपने मन को राम नाम का पाठ पढाना
भगवान को भजते हुए झुककर नमन करके चलना आ गया वही आत्म समर्पण करता है। जो भक्त भगवान को भजते
हम भगवान की याद में आंसू बहातें है तब हमारे अन्दर जन्म जन्मानतर के पाप कर्म जल जाते हैं भगवान