प्रभु संकीर्तन 14
हम भगवान की याद में आंसू बहातें है तब हमारे अन्दर जन्म जन्मानतर के पाप कर्म जल जाते हैं भगवान
हम भगवान की याद में आंसू बहातें है तब हमारे अन्दर जन्म जन्मानतर के पाप कर्म जल जाते हैं भगवान
*एक सखी भाव में हवा से बात करते हुए ए हवा तू मेरे साँवरे के पास जाती तो होगी,मेरे प्यारे
परमात्मा को कभी भी एक रूप में नहीं खोजा जा सकता है। भक्त भगवान को अन्तर्मन से प्रार्थना करता है
एक सखी कहती हैं। अन्य बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं। वे बहुत अच्छे हैं। तब दुसरी सखी कहती हैं परायों
एक भक्त पृथ्वी माता से प्रार्थना करते मेरी अनजाने में पृथ्वी माता से रहती। हे पृथ्वी माता देख तुने मुझे
किसी भी प्रकार की मशीन हो मशीन को चलाते रहेगें तब वह कार्य करती है। मशीन को कुछ समय नहीं
हमारा मन हर समय विचार बनाता है, सुख के साधन ढुंढता है। मन एक क्षण के लिए भी ठहरता नहीं
एक आम आदमी मै का रूप है वह अपने आप को शरीर मानता है। वह कुछ भी करता है तब
जय श्री राम पढते बहुत कुछ है एक से एक भाव दिल को छुने वाले होते हैं देखना हमे है
हमने बहुत से जन्मदिन मनाए बहुत सी शादी की वर्षगांठ मनायी जिस दिन जन्मदिन और वर्षगांठ होती है उस दिन