
भक्त के दिल के भाव
हम सत्संग में परमात्मा को अनेकों भावों से मनाते हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहते हैं कि हे परमात्मा
हम सत्संग में परमात्मा को अनेकों भावों से मनाते हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहते हैं कि हे परमात्मा
मन्दिर में सगुण साकार की पुजा की जाती है हम मन्दिर में जाकर सभी भगवान के सामने धुप दिपक जलाते
ये सम्पूर्ण गीता का सार है जिसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं कि तु मेरा स्मरण चिन्तन करते हुए
आज सभी बहुत पढते है एक से एक भाव दिल को छुने वाले होते हैं देखना हमे है कि हम
सांवरे जिस दिल में बैठ जाता है वे नैन फिर नीर नहीं बहाते हैं वे नैन नीर बहाएगे फिर इस
जीवन में उतार चढाव आते ही रहते हैं। यह जीवन सङक की तरह से है। सङक पर हम सीधे चलते
भगवान की भक्ति से नाम जप से श्रद्धा उत्पन होगी श्रद्धा से विश्वास जागृत होगा भगवान को हम भजते रहेंगे
हे मेरे भगवान् मेरे ये राम राम राम की माला हर घङी और हर पल मेरे अन्दर चलती रहे।ये माला
यह जीवन की सच्चाई है। एक दिन भी हम थोड़े कमजोर हो जाते हैं। तब घर वाले सबसे पहले दुत्कारते
हम भगवान् के मन्दिर में जाकर दर्शन करते हैं इसलिए हमें लगता है कि भगवान मन्दिर में ही रहते हैं।