
परमात्मा पर ध्यान केंद्रित
मन पर विचार न करके हमे परमात्मा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भगवान के जीवन चरित्र को पढते हुए भगवान

मन पर विचार न करके हमे परमात्मा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भगवान के जीवन चरित्र को पढते हुए भगवान
आनंद का प्राकट्य तभी होता है।जब साधक अन्तर्मन में परम पिता परमात्मा को बैठा लेता है। परमात्मा में लीन शरीर

काली अंधियारी रात बीत चुकी अब सुर्य वंशी राम का तेज पृथ्वी पर उदय हुआ है राम राज्य कहीं बाहर

मेरे राम की प्राण प्रतिष्ठा है चलो अयोध्या धाम कोयह राम राज्य की स्थापना है भारत की गद्दी पर एक

हे राम मै तुम से एक प्रार्थना करती हूं राम भक्तो के हृदय में कैसे बसे है।राम बसे है भक्तो

राम युग आया है राम मय हुआ जग सारायह इतिहास की गोरव गाथा की रचना हैराम मंदिर भारतीय समाज कीशांति

राम मन्दिर की स्थापना प्राणी के हदय में भक्ती का रोपण है भगवान राम का राज तिलक है गर्भ ग्रह
राम भगवान हैं परमात्मा राम को प्रणाम है। राम सत्चित् आनन्द स्वरूप है भगवान राम हमारी आत्मा की पुकार है।

यदि दुख का स्वाद आनंददाई हो जाय तो सुख की लालसा ही नही होगी दुःख में सुख की खोज हमारी

हम अपने अवचेतन मन को विचार दे सकते हैं हम जिस कार्य में सफल होना चाहते हैं हम निश्चय करे