प्रियतम से सम्बन्ध
हम भगवान राम, कृष्ण, हरि, शिव, को कथाओं में ढुंढते है।भजन गाते हैं। रामचरितमानस, भगवद्गीता, भागवत महापुराण को पढते है। मन्दिर
हम भगवान राम, कृष्ण, हरि, शिव, को कथाओं में ढुंढते है।भजन गाते हैं। रामचरितमानस, भगवद्गीता, भागवत महापुराण को पढते है। मन्दिर
परमात्मा से मिलन मनुष्य-जन्म में ही संभव है परमात्मा ने सिर्फ इन्सान को ही यह हक़ दिया है यह मनुष्य-शरीर
मिलन की तङफ के बैगर आंसू छलकते नहीं। हर क्षण प्रभु मे खोना होता है। जितने भगवान पास में होंगे
हृदय से ढूंढने पर ही परमात्मा मिलेंगे। संत महात्मा हमें मार्ग दिखा देंगे, पर लगन का दीपक हमें अपने आप
आत्मचिंतन करने के लिए समर्पण भाव का जागृत होना आवश्यक है परमात्मा के मै दर्शन कर लू परमात्मा कैसा है
बहुत देखा। खूब देखा। जितना देख सकती थी उतना मैंने बांके बिहारी को देखा। पर तू ही बता ऐ सखी
हे परमात्मा राम मै आपकी वन्दना करती हूं एक भक्त परमात्मा राम के भाव मे कैसे वन्दना करता है हे
एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान् को अन्तर मन से धन्यवाद करे कि हे भगवान् तुमने मुझे बना कर पृथ्वी पर
आत्मविश्वास जितना दृढ होगा उतना ही आपके शब्द आपके भीतर से निकले हुए होंगे। हम सैदव याद रखे यह मनुष्य
आत्म चिन्तन का अर्थ है हम अपने आप के नजदीक है हम जीवन में यह जान जाये मुझे परमात्मा ने