हिन्दू धर्म रक्षक
राम नाम को सार है। राम नाम जितना गहरा होगा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता है। कथा हमारे मन का
राम नाम को सार है। राम नाम जितना गहरा होगा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता है। कथा हमारे मन का

गुरू वाणी कहती है। विचार के स्वरुप साधना पर आधारित है। विचार के अनेक रूप है साधक की साधना की

परमात्मा दर्शन अभिलाषा ही लक्ष्य है, संकल्प ही शक्ति है। यही भीतर की खोज हमें आत्मा से परमात्मा की ओर ले
आत्म बोध आत्मज्ञान आत्मसमर्पण, आत्म स्वरूप आत्म तत्व,आत्मा ईश्वर है।तु विभो है व्यापक है।यह चैतन्य आत्मा ही ब्रह्म है तु

हम कितनी ही साधना करे, परमात्मा का चिन्तन मनन नाम जप करे। प्रभु कि कृपा के बैगर हम ठूठ के

ग्रथं को पढना हुए ग्रथं के रिदम का स्पर्श हमारा अन्तकरण कर लेता है तब वह रस हृदय को स्पर्श
बिना ज्ञान के मुक्ति नहींमै का मर जाना ही ज्ञान है। कर्ता का मिटना ज्ञान है। भगवान की भक्ति करते

ऐ आत्मा! ये शरीर तेरा घर नहीं है। ऐ आत्मा! तुझे परम तत्व परमात्मा से साक्षात्कार करना है। ऐ आत्मा,

आज का युग भौतिक पदार्थों में खुशी ढुंढता है। वह बाहर की खुशी के साथ जीवन जीते हैं उनकी कल्पना

फुलो की महक सांसो में समा जाए मन भरा हुआ ही हंसता है खाली मन हंसा नहीं करता है ।