अनीता गर्ग (Anita Garg)

चैतन्य का चिन्तन

सृष्टि के विराट चक्र में युगों की यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है। सतयुग की निर्मलता,

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आत्मा की पुकार

अन्तर आत्मा की एक ही पुकार भगवान राम के दर्शन कैसे हो। हृदय में भगवान राम के दर्शन कर पाऊं

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भगवान देख रहा

हे परमात्मा जी मै कहती। भगवान् देख रहा है। मै जब भीघर में कार्य करती मेरा अन्तर्मन पुकारता भगवान् देखरहा

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विचार को बोना

मोहन  शान्त भाव में बैठा हुआ है जगदीश  उसमे  कैसे विचार डालना चाहता है। जगदीश उसमे विचार की झलक एक

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